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बेटे का गम दूर करने के लिए सड़क के गड्ढे भर रहा सब्जीवाला

accident2मुंबई। दादाराव भिलोरे सड़क पर जब भी कोई गड्ढा देखते हैं तो वहां रुककर उसे भरने लग जाते हैं। कई लोगों को यह आदमी अजीब भी लगता है जो मिट्टी, ईंट के टुकड़ों या निर्माणाधीन इमारतों से निकले कचरे से सड़क के गड्ढों को भर रहा होता है। इतना काम करने के बाद वह अगले गड्ढे को खोजने निकल पड़ते हैं, जो किसी भी बाइक सवार के लिए खतरनाक हो सकता है।
असल में भिलोरे को कोई बीमारी नहीं है। सड़क के गड्ढे भरने के जरिए वह अपने 16 साल के बेटे प्रकाश की मौत से बने अपने घावों को भरने की कोशिश करते हैं। उनके बेटे की मौत नगर निगम अधिकारियों और एक प्राइवेट कंपनी द्वारा जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड पर खोदे गए गड्ढे की वजह से हुई थी।

मामला पिछले साल 28 जुलाई का है। प्रकाश अपने कजन राम के साथ एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में ऐडमिशन करा लौट रहा था। उनकी बाइक गड्ढे में घुस गई थी और प्रकाश को अस्पताल ले जाते ही मृत घोषित कर दिया गया था। 46 साल के भिलोरे का कहना है, ‘मेरा बेटा जिंदा होता तो नहीं चाहता कि किसी के भी साथ ऐसा हो। वह बहुत अच्छा, स्मार्ट, तेज दिमाग और जिंदादिल लड़का था। मैं हरदम कोशिश करूंगा कि किसी का भी ये हश्र न हो।’ उन्होंने पिछले महीने ही और उससे पहले से भी सड़कों के दर्जनों गड्ढे भरे हैं, जिनसे शायद कई लोग चोटिल होने से बचे होंगे। दुर्घटना में घायल राम बच गया था।

भिलोरे आजीविका के लिए मारोल के विजयनगर इलाके में सब्जी बेचने का काम करते हैं। उन्होंने इसी के जरिए अपने बच्चों को पढ़ाया-लिखाया। प्रकाश परिवार का पहला बच्चा था जो अंग्रेजी मीडियम से पढ़ा। उसने अपने परिवार वालों से कई वादे भी किए थे, जो जाहिर है अधूरे रह गए। भिलोरे ने कहा है कि वे घर पर नहीं रोते हैं, क्योंकि इससे उनकी बेटी भी रोएगी। रिश्तेदारों ने उनके घर आना बंद कर दिया है, क्योंकि वे भी नहीं जानते कि उन्हें कैसे दिलासा दी जाए।

भिलोरे ने कहा है कि उन्हें अपने बेटे की मौत की एफआईआर दर्ज कराने में तीन दिन लग गए थे। छह महीने बीतने के बाद आज भी उन्हें इस मामले में इंसाफ मिलने का इंतजार है। वैसे अब तक इस केस की चार्जशीट फाइल नहीं हो सकी है और आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। पुलिस ने कहा है कि इस हफ्ते चार्जशीट फाइल कर देंगे।