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बीमारी का बहाना बना फिर छुट्टी पर निकले केजरीवाल

नई दिल्ली। बीते करीब 2 महीने से ज्यादातर वक्त पंजाब और गोवा में बिताने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल फिर से लंबी छुट्टी पर निकल रहे हैं। हालांकि उन्होंने इसके लिए बीमारी का बहाना बनाया है। मीडिया की खबरों के मुताबिक केजरीवाल का ब्लड शुगर लेवल बढ़ गया है, जिसका इलाज कराने के लिए वो अगले 15 दिन बेंगलुरु में रहेंगे। 7 फरवरी को वो बेंगलुरु चले जाएंगे जहां 22 फरवरी तक फाइवस्टार जिंदल नेचुरोपैथी अस्पताल में उनका इलाज होगा। जबकि इस बीमारी के नेचुरोपौथी इलाज की अच्छी सुविधा दिल्ली में भी उपलब्ध है। दिल्ली के मयूर विहार में बापू नेचुरोपैथी हॉस्पिटल है, जहां देश भर से लोग इलाज कराने आते हैं। बेंगलुरु का जिंदल नेचुरोपैथी हॉस्पिटल हरियाणा के कांग्रेसी नेता नवीन जिंदल का परिवार चलाता है।

सरकारी खर्चे पर ‘फाइवस्टार’ मौजमस्ती

जिंदल नेचुरोपैथी इंस्टीट्यूट में 15 दिन के इलाज का खर्च लाखों में बैठेगा। यहां एक दिन का रूम चार्ज 12 हजार रुपये है, जबकि दिल्ली के बड़े से बड़े अस्पताल में रूम चार्ज इतना ज्यादा नहीं है। खबर है कि केजरीवाल इस बार हमेशा की तरह अपने मां-बाप और पत्नी के साथ वहां जाएंगे। यानी 4 सदस्य हुए तो हर दिन का खर्च करीब 48 हजार रुपये। इन सभी का खर्चा दिल्ली सरकार उठाएगी। केजरीवाल दावा करते हैं कि उन्होंने दिल्ली में स्वास्थ सेवाओं को वर्ल्ड क्लास का बना दिया है लेकिन वो खुद अपने ही अस्पतालों पर भरोसा नहीं करते। जबकि इन अस्पतालों में इलाज पर खर्च भी कम आता और सरकार पर बोझ भी कम आता। इससे पहले केजरीवाल ने अपने पिता की ओपन हार्ट सर्जरी भी दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में करवाई थी। दावा किया जाता है कि इसका बिल करीब करीब 25 लाख रुपये आया था और केजरीवाल ने वो सारा पैसा सरकारी खाते से लिया था।

बीमार हैं तो फिल्म देखने क्यों गए?

अरविंद केजरीवाल को ब्लड शुगर (मधुमेह) की समस्या है। उनके करीबियों का दावा है कि उनका ब्लड शुगर लगातार खतरनाक लेवल पर बना हुआ है। पहले जहां दिन में एक बार इन्सुलिन लेते थे, आजकल तीन बार लेना पड़ रहा है। अगर ये दावा सही है तो पंजाब से लौटने के बाद शनिवार को केजरीवाल कनॉट प्लेस के एक सिनेमाहॉल में फिल्म रईसद देखने क्यों गए? क्योंकि ऐसी स्थिति में कोई भी समझदार आदमी फिल्म देखने के बजाय थोड़ा आराम करना बेहतर समझेगा। क्योंकि 2-4 दिन आराम से वो ठीक हो सकते थे। इसके बावजूद केजरीवाल जनता के टैक्स के पैसे अपने ऐशो-आराम पर खर्च करना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं।