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बहुजन समाज पार्टी में विद्रोह की शुरू, पूर्व वित्त मंत्री के.के. गौतम, ओएसडी गंगाराम अम्बेडकर समेत 24 नेताओं ने दिया पार्टी से इस्तीफा

लखनऊ। बहुजन से सर्वजन का चोला ओढऩे वाले बहुजन समाज पार्टी में विद्रोह की शुरूआत हो गई है। इस बार इसकी शुरूआत मान्यवर कांशीराम के अनुयायी और पूर्व वित्त मंत्री कमलाकांत गौतम और गंगा राम अम्बेडकर ने की है। बुधवार को मान्यवर कांशीराम की 83वीं जयंती के अवसर पर बसपा सुप्रीमो मायावती पर बाबा साहब और कांशीराम के मिशन के विपरीत चमचा युग शुरू होने का आरोप लगाकर जहां बसपा को छोड़ दिया वहीं मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इससे बसपा में हडक़म्प मच गया है।

सूत्रों का कहना है कि 2012 और 2017 यूपी के विधान सभा चुनावों से पहले कमलाकांत गौतम ने बसपा सुप्रीमो मायावती को पार्टी की हार के लिए बता दिया था।उल्लेखनीय है कि कमलाकांत गौतम और गंगाराम अम्बेडकर बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम के काफी करीबी लोगों में रहे हैं। 2007 तक बसपा की सरकार में कमलाकांत गौतम वित्त मंत्री और विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। जबकि गंगा राम अम्बेडकर मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे हैं। बसपा में कमलाकांत गौतम का कद दूसरे नम्बर का माना जाता था। यह बात बसपा सुप्रीमो मायावती को बहुत रास नहीं आती है। यही वजह है कि कमलाकांत गौतम की राजनीतिक कैरियर खत्म करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले हिमाचल प्रदेश, केरल और बिहार का प्रभारी बनाया। जिससे यूपी में कमलाकांत गौतम की कोई राजनीतिक पकड़ न रह पाए।

दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि बहनजी ने जिन नेताओं को बसपा की जिम्मेदारी दे रखा है वहीं बसपा के मिशन को तबाह करने में जुटे हुए हैं। इन नेताओं का कहना है कि वर्ष 2012 में हुए यूपी विधान सभा चुनाव, 2014 में हुए लोकसभा चुनाव और 2017 में हुए यूपी, उत्तराखण्ड के विधान सभा चुनाव में पार्टी की बुरी दुगर्ति हुई है। इसके बावजूद बहनजी ने कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी को छोडऩे का निर्णय बहुत मजबूरी में लिया गया है। अपने इस निर्णय ने बहनजी की आंख खोलना चाहते हैं, ना कि उनको चुनौती देना चाहते हैं।जिससे मायावती काफी नाराज चल रही थी। बुधवार को लखनऊ के एक होटल में प्रेसवार्ता में पूर्व वित्त मंत्री कमलाकांत गौतम और गंगा राम अम्बेडकर ने कहा कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े दलित समाज का शोषण अब बसपा में तेजी से हो रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती मिशन से भटक गई हैं। अब बसपा में चमचा युग की शुरूआत हो चुकी है। जिस भी नेता ने बसपा सुप्रीमो मायावती को असलियत बताई तो उसे बहनजी ने तुरंत पार्टी से बाहर कर रास्ता दिखा दिया है।

36 साल से इस पार्टी में हूं, लेकिन अब बसपा में बहुजन समाज और मिशनरी नेताओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है। इससे आहत होकर बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। भावी रणनीति का खुलासा करते हुए दोनों नेताओं ने कहा कि बसपा के विकल्प बनने के लिए यह कदम उठाया गया है। बसपा की प्राथमिक सदस्यता को त्यागने वाले नेताओं में प्रदीप पासी, सुरेश पाल, अशोक कुमार, अशोक चौधरी, पुष्पेन्द्र गौतम, डा. शंकर लाल, अमर कन्नौजिया, इंजीनियर आर.ए. सिंह, ए.के. पाण्डेय समेत काफी संख्या में कार्यकर्ता शामिल रहे।