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बसपा MLA राजेश त्रिपाठी को मायावती ने किया बाहर, बीजेपी में शामिल हो सकते है त्रिपाठी 

BSPrajeshलखनऊ। आज़म की मेहमान नवाजी बसपा MLA राजेश त्रिपाठी को काफी महंगी पड़ गई है. उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता मायावती ने दिखा दिया है. पार्टी के जानकर सूत्र बताते है कि इसकी नीव उस समय ही पड़ गई थी, जब कुछ महीने पहले सपा नेता आज़म को त्रिपाठी ने एक कार्यक्रम में गोरखपुर मुख्यअतिथि बना कर बुलाया था. इस कार्यक्रम में आज़म को बड़ा सम्मान दिया गया था. यह बात बसपाइयों को रास नहीं आई और उन्होंने इस मामले की शिकायत बहनजी से कर दी.

सूत्रों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती ने गोरखपुर के इस परिवार को काफी तवज्जो दी है. इस तवज्जो की वजह क्या है. यह तो पार्टी के नेता भी नहीं जानते. लेकिन इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पूर्वांचल की संतकबीरनगर संसदीय सीट से भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी आने वाली लोकसभा के लिए भी प्रत्याशी होंगे. क्यों कि वह जिस तरह से क्षेत्र में सक्रिय हैं. उससे उनका टिकट वहां से काटना मुश्किल ही लग रहा है.

दूसरी तरफ महराजगंज की पनियरा विधानसभा सीट से बसपा ने इसी परिवार के एंव पूर्व में विधान परिषद् के सभापति रहे गणेश शंकर पाण्डेय  को आगामी विधानसभा के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. बसपा ने जिसे अपना प्रत्याशी यहाँ से घोषित किया है उसे किसी अन्य के पहचान की दरकार नहीं है. यह नाम आते ही लोग श्रद्धा से उस ओर झुक जाते है. अब रहा इस परिवार के विनय शंकर तिवारी का, जिन्हें बसपा से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिलना तय ही हो चुका है. समझा जाता है कि विनय अपने पिता पंडित हरिशंकर तिवारी की चिल्लूपार में खोई हुई प्रतिष्ठा को फिर से वापस ले आने के लिए प्रयत्नशील हैं. फिलहाल पूर्वांचल की तीन सीटों पर इस हाता परिवार का वर्चस्व रहेगा.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राजेश त्रिपाठी को चिल्लूपार की सीट छोड़कर बरहज या फिर रूद्रपुर की सीट के लिए भेजा जा रहा था, लेकिन वे बैकफुट पर आ गए. इसका पता पहले से ही राजनीतिक महारथियों को था कि यहाँ से वे उनके चक्रव्यूह को नहीं तोड़ पाएंगे और ऐसा ही हुआ. फिलहाल, राजेश त्रिपाठी का बसपा से इस्तीफा देना या फिर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने या बिक जाने के आरोप में बसपा सुप्रीमों द्वारा इन्हें पार्टी से निष्काषित किये जाने के मामले से पूर्वांचल के राजनीतिक गलियारों में हडकंप मच गया है.

चिल्लूपार की यह सीट कई राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं का समीकरण बिगाड़ने को आतुर है. जिसके चलते राजनीतिक गलियारों में हडकंप मच गया है. मगर सवाल इस बात का है कि राजेश त्रिपाठी क्या अब निर्दल चुनाव लड़ेंगे या फिर बीजेपी, सपा और कांग्रेस में से किसी का दामन थामेंगे. इनकी बीजेपी में जाने की संभावना जताई जा रही है. बीजेपी में थोड़ी सी दिक्कत राजेश त्रिपाठी को हो सकती है क्‍योंकि बीजेपी का एक कद्दावर खेमा चाहता है कि राजेश त्रिपाठी जहां से चुनाव लड़कर जीते थे, वहीं से लड़ें. जबकि दूसरा खेमा चाहता है कि यहाँ से राजेश कहीं अन्य चले जाएं. दूसरा खेमा इस समय बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के एक नेता का ख़ास माना जा रहा है. हालाँकि केंद्रीय नेतृत्व इस सीट से ऐसे ही प्रत्याशी की तलाश में है.