Breaking News

फेल हुई दरगाह डिप्लोमसी, निजामुद्दीन औलिया नहीं आएंगे शाहबाज शरीफ

Shahbaz-Sharifनई दिल्ली। भारत सरकार कुछ दिनों बाद हजरत निजामुद्दीन औलिया के उर्स पर पाकिस्तान से आने वाले मेहमानों का स्वागत करेगी, लेकिन इनमें पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ नहीं होंगे।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सीएम शाहबाज शरीफ के इस दौरे को ‘दरगाह डिप्लोमसी’ के तौर पर देखा जा रहा था। उन्हें हजरत निजामुद्दीन के उर्स में आने का न्योता दिया गया था और उन्होंने आने की मंजूरी भी दे दी थी। दोनों देश शरीफ और मोदी के बीच बैठक की संभावनाएं भी तलाश रहे थे।

शाहबाज के दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर आने से देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। दरगाह के मुख्य खादिम ताहिर निजामी ने कहा है, ‘पहले उनकी प्रतिक्रिया काफी सकारात्मक थी, पर अब लगता है कि वह नहीं आ रहे हैं।’ मोदी क्रिसमस के मौके पर लाहौर में रुके थे और शाहबाज ने उनसे मुलाकात की थी। तब दोनों पक्षों को लग रहा था कि मोदी-शाहबाज की मुलाकात को भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत के तौर पर आगे बढ़ाया जा सकता है।

शाहबाज के नहीं आने का कारण तो नहीं पता है, पर पठानकोट पर हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच कई चीजें बदली हैं। पाकिस्तान चाहता है कि दोनों देशों के संबंधों में आगे बढ़ने से पहले विदेश सचिव स्तर की वार्ता हो। पठानकोट हमले से पहले जुलाई में मोदी-शरीफ की ऊफा में हुई मुलाकात में कहा गया था कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। मुंबई हमले के बाद दोनों देशों के बीच वार्ता में गतिरोध आ गया था। फिलहाल दोनों देश विदेश सचिवों की बातचीत की तारीख पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार में शामिल कुछ लोगों का मानना है कि पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के स्तर की बैठक होनी चाहिए, पर पाकिस्तान के इस पर सहमत होने की उम्मीद काफी कम है।

हालांकि भारत ने अब भी धार्मिक पर्यटन के महत्व को पूरी तरह नहीं नकारा है। इसी महीने निजामुद्दीन के उर्स के मौके पर पाकिस्तान से 200 से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने हाल ही में भारत के आगरा में जाने के लिए वीजा न दिए जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। भारत सरकार ने कहा था कि इसी वजह यह थी कि आगरा की मस्जिद की आयोजक समिति विदेशी मेहमानों की गैरंटी लेने को तैयार नहीं थी।