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प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी की सबसे बड़ी खूबी है खामोश प्रतिक्रिया

नरेन्द्रभाई मोदी… भारत के प्रधानमंत्री… दुनिया के तीसरे लोकप्रिय और चर्चित नेता की सबसे बड़ी खूबी है… खामोश प्रतिक्रिया!

आलोचना को अवसर में बदलने की कला के जादूगर नरेन्द्रभाई मोदी ने इस वर्ष जी न्यूज, टाइम्स नाउ आदि न्यूज चैनल को जो इंटरव्यू दिए हैं उनसे उनके सोचने और काम करने के नजरिए की झलक मिलती है?

पीएम मोदी ने तो कांग्रेस मुक्त भारत की परिभाषा ही बदल दी, कांग्रेस मुक्त भारत के सवाल पर उनका कहना था कि… जब मैं कांग्रेस मुक्त भारत कहता हूं तो यह किसी पार्टी या संगठन के लिए नहीं है… कांग्रेस एक संस्कृति के रूप में देश में फैली हुई है… आजादी के बाद कांग्रेस की संस्कृति का जो रूप आया वह थोड़ा बहुत सभी दलों को खलने लगा है… जातिवाद, परिवारवाद, भ्रष्टाचार, धोखेबाजी, सत्ता को दबोचकर रखना… यह कांग्रेस की संस्कृति है… कांग्रेस के लोग भी कहते हैं कि कांग्रेस एक सोच है… मैं उस सोच की चर्चा करता हूं… इसलिए जब मैं कांग्रेस मुक्त कहता हूं तो चाहता हूं कि कांग्रेस भी खुद को कांग्रेस मुक्त कर दे? उस संस्कृति से मुक्त कर दे… मैं उन बीमारियों से मुक्ति की बात करता हूं, जो संभवत: उसी से शुरू हुईं!

विधानसभा और लोकसभा चुनाव एकसाथ करवाने के मामले में पीएम मोदी की सोच पहले से वही है जिस पर उन्होंने ताजा मुहर लगाई है कि… देश में हमेशा चुनाव का माहौल रहता है… चुनाव आने पर फेडरल स्ट्रक्चर को चोट पहुंचती है… राजनीतिक दलों के बीच तू-तू, मैं-मैं होती है… साल में एक बार उत्सव की तरह चुनाव भी एक निश्चित समय में होने चाहिए… अब देश का मतदाता समझदार है… वह लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अंतर समझता

पीएम मोदी की कामयाबी का सबसे बड़ा राज है… आब्जर्वेशन एण्ड एक्शन और इसीलिए वे अगले आम चुनाव को लेकर आश्वस्त है… वर्ष 2019 में सत्ता वापसी? के सवाल पर अपने विशेष अंदाज में उन्होंने कहा… मैं चुनाव के हिसाब-किताब में समय बर्बाद नहीं करता… मुझे देश की जनता पर भरोसा है!

प्रधानमंत्री जैसे पद पर पहुंच कर भी पीएम मोदी ने अपने अंदाज नहीं बदले हैं जिसके कारण उनकी यूनिक स्टाइल ऑफ  डिप्लोमेसी चर्चा में है जिसके सवाल पर वे कहते हैं… कभी-कभी कुछ कमियां शक्ति में बदल जाती हैं… मेरा मूल स्वभाव रहा है अभाव को अवसर में बदलना… जब मैं पीएम बना तो लोग कहते थे कि इसको तो दुनिया का ज्ञान नहीं है… एक तरह से ये सही था कि मेरे पास कोई अनुभव नहीं था… पर ये एडवांटेज था- मेरे पास कोई बैगेज नहीं था… मैं कहता था कि भाई हम आम इंसान की तरह जिएंगे… अब ये स्टाइल दुनिया को पसंद आ गया है… कोशिश करता हूं कि देश का नुकसान न करूं!

पीएम मोदी ने मुस्लिम समाज सुधार के सख्त कदम उठाए, वजह एकदम साफ है कि… वहां के मतदाताओं से भाजपा का कुछ खास नाता नहीं रहा, बदलाव के कारण एक समाज सुधार का अच्छा काम भी हो गया और गैरभाजपाइयों के वोट बैंक में दरार भी आ गई? लेकिन… तीन तलाक के मामले में कांग्रेस पर निशाना साधना नहीं भूले पीएम मोदी, बोले… मैं मानता था कि कांग्रेस ने राजीव गांधी के दौर की गलती से सीख ली होगी… तीन तलाक पीडि़ताओं की जो कहानियां मीडिया में आईं, वो आंखों में आंसू ला देने वाली थीं… क्या कांग्रेस इन विचलित कर देनेवाली कहानियों से भी नहीं पिघली? अगर कांग्रेस नहीं समझ पाई तो मन में पीड़ा होती है कि राजनीति कितनी नीचे गिर गई… क्या सत्ता की ऐसी भूख होनी चाहिए कि हम माताओं-बहनों को कष्ट में देखते रहें लेकिन अपनी राजनीति करें? उन्हें भी शायद भीतर से पीड़ा होती होगी, लेकिन राजनीति की वजह से सामने नहीं लाते होंगे!

अपने विभिन्न निर्णयों पर पीएम मोदी को पक्का भरोसा है कि वे जनहित में हैं, इसीलिए… वर्ष 2014 से 2018 में क्या अंतर है, भारत के स्टेटस में? सवाल के जवाब में वे बोले कि… 2014 के बाद से भारत दुनिया से डायरेक्ट कनेक्ट हो रहा है… सबसे बड़ी बात है इंडिया में तीस साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार आई है… ये विश्व में बहुत बड़ा महत्व रखता है… ये पहले दिन से नजर आता है… जबसे हमारी सरकार आई, भारत घर में अच्छा कर रहा है, इसलिए दुनिया स्वीकार कर रही है… गुड गवर्नेंस, ट्रांसपैरेंसी इत्यादि… जब दुनिया ‘ईज ऑफ  डूइंग बिजनेसÓ में 142 से 100 रैंक पर जाना देखती है, तो ये उनके लिए बड़ी बात है… दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का मैन्डेट सबसे महत्वपूर्ण है, मोदी नहीं… मेरा काम है 125 करोड़ भारतीयों की आवाज मानना!

अन्तर्राष्ट्रीय मर्यादाओं में रह कर भी आतंकवाद का मुकाबला करना केन्द्र सरकार की खासियत रही है जिसके कारण पाकिस्तान दुनियाभर में एक्सपोज हुआ है… पाक प्रायोजित आतंकवाद के सवाल पर वे बोले…

मेरे प्रयास आतंकवाद को हराने के लिए दुनिया की ताकतों को एक साथ लाने के लिए हैं… भारत दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है… यह कहना कि भारत की विदेश नीति पाक आधारित है, सरासर गलत है… पर आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखने वाले लोगों के खिलाफ दुनिया को एक होने की जरूरत है!

न्यायपालिका को लेकर पीएम मोदी का नजरिया एकदम स्पष्ट रहा और इसीलिए न्यायपालिका के संकट के सवाल पर उन्होंने कहा… सरकार और राजनीतिक दलों को इससे दूर रहना चाहिए… हमारी न्यायपालिका का बहुत उजला इतिहास रहा है… वे बहुत समर्थ लोग हैं… वे आपस में मिल बैठकर अपनी समस्याओं का हल निकाल लेंगे… मुझे अपनी न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है!

लेकिन… जीएसटी की आलोचना पर उन्होंने सामुहिक जिममेदारी की बात कही, उन्होंने कहा… केन्द्र सरकार जीएसटी की कमियों को दूर करने तथा इसे एक कुशल कर में तब्दील करने के लिए और बदलाव को तैयार है… संसद में करीब सात साल की चर्चा के बाद यह बिल पारित हुआ… जिन लोगों ने जीएसटी को पारित किया अगर वही भद्दी आलोचना करते हैं, तो यह ठीक बात नहीं? यह संसद का अपमान है… जीएसटी के अंदर सभी निर्णय सबकी सहमति से हुए हैं… एक बार भी वोटिंग की नौबत नहीं आई है… जीएसटी के निर्णय सबने मिलकर लिए हैं, पर ठीकरा केवल हम पर फोडऩे की कोशिश हो रही है?

यही नहीं, जीएसटी और नोटबंदी की कामयाबी के सवाल पर उन्होंने कहा कि… अगर इन दोनों कामों को ही मेरी सरकार का काम मानेंगे तो हमारे साथ यह अन्याय है… हमारे चार साल के काम को देखें… इस देश में बैकों के राष्ट्रीयकरण के बाद भी 30-40 प्रतिशत लोग बैंकिंग सिस्टम से बाहर हैं… हम उनको वापस लाए हैं… क्या ये उपलब्धि नहीं है? लड़कियों के स्कूल के लिए शौचालय, क्या ये काम नहीं है? 3.30 करोड़ लोगों के घर गैस पहुंचना, क्या काम नहीं है? 90 पैसे में गरीब का इंश्योरेंस, क्या ये काम नहीं है? जहां तक जीएसटी का सवाल है, जब अटलजी की सरकार थी इसकी चर्चा शुरू हुई… यूपीए सरकार के समय इस मसले पर राज्यों की नहीं सुनी जाती थी, चाहे जो भी रीजन रहा हो… मैं जब गुजरात का सीएम था तो बोलता था, पर नहीं सुनी जाती थी… एक देश, एक टैक्स की दिशा में हमने बहुत बड़ी सफलता पाई… कोई व्यवस्था बदलती है तो थोड़े एडजस्टमेंट करने होते हैं… जब लॉन्ग टर्म में देखा जाएगा तो इन्हें बहुत सफल माना जाएगा!

पीएम मोदी के इंटरव्यू से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि वे कोई भी कदम बगैर निर्णय पर पहुंचे नहीं उठा रहे हैं, यह बात अलग है कि… उनके ज्यादातर कार्य और निर्णय देशहित के मद्देनजर हैं, जनता को सीधे प्रभावित करने वाले मुद्दों- बेरोजगारी, महंगाई आदि के मामले में तत्काल लाभ के बजाय लांग टर्म प्रॉफिट पर फोकस हैं… आमजन इसे कितना मानता है? यह कहना इसलिए मुश्किल है कि भारतीय मतदाता जैसा महसूस करते हैं उसी के सापेक्ष निर्णय लेते हैं!

राजनीतिक सारांश… पीएम नरेन्द्र मोदी के नजरिए से लगता है कि वे राजनीतिक लाभ-हानि की परवाह किए बगैर जो उन्हें राष्ट्रहित में सही लग रहा है उस मार्ग पर चल रहे हैं… उसी के सापेक्ष निर्णय भी ले रहे हैं! यह आमजन पर निर्भर है कि वह इस पर क्या सोचता है? और… 2019 में क्या चुनावी फैसला सुनाता है?