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पी. चिंदंबरम ने अफजल गुरु की दया याचिका का समर्थन नहीं किया था: आर.के. सिंह

Chidambaram29नई दिल्ली। पी. चिदंबरम के गृह मंत्री के कार्यकाल के समय गृह सचिव रहे और वर्तमान में बीजेपी सांसद आरके सिंह ने खुलासा किया है कि 2011 में अफजल गुरु की दया याचिका के समय गृह मंत्री ने क्षमादान पर बहस नहीं की थी और सुप्रीम कोर्ट के फांसी के फैसले को ही चुना था।
तत्कालीन गृह सचिव आरके सिंह ने कहा है, ‘जब अगस्त 2011 में गृह मंत्री पी चिदंबरम द्वारा फाइल राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को भेजी गई थी तब उन्होंने अफजल गुरु के लिए किसी भी क्षमादान की सिफारिश नहीं की थी। अगर उन्हें इस पर कोई शक है तो उन्हें पुरानी फाइलें खोलकर देखना चाहिए।’ एक इंटरव्यू में पिछले सप्ताह पी चिदंबरम ने कहा था कि अगर वह तब गृह मंत्री होते तो इस मामले में (अफजल गुरु केस) अलग तरह से कुछ करते लेकिन वह उस समय वह सरकार में थे तो खुद को अलग रखना उनके लिए सही नहीं था।

प्रतिभा पाटील ने अपने कार्यावधि में कभी अफजल गुरु की फाइल नहीं खोली। इसके बाद सुशील कुमार शिंदे अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजी, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया। प्रणब मुखर्जी द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के कुछ समय बाद ही अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी। अफजल की फांसी के बाद चिदंबरम से फोन कॉल्स और मेसेज के जरिया प्रतिक्रिया लेने की कोशिश गई थी लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। वहीं चिदंबरम के साथ गृह मंत्रालय में काम करने वाले एक रिटायर्ड सीनियर ऑफिसर का कहना है कि चिदंबरम को अफजल गुरु के केस की सारी डीटेल्स पता थीं और उन्हें अफजल की दया याचिका में कोई दम नहीं लगता था।

अब जब चिदंबरम कह रहे हैं कि वह अफजल गुरु के मामले को ‘अलग तरीके’ से हैंडल करते, इस पर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दे रही है। अनुराग ठाकुर ने पूछा है कि चिदंबरम ने यह बात कहने में इतनी देर क्यों लगा दी।