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पीवी सिंधु के पास मेरे पति जैसा कोच है, जो मेरे पास नहीं था: पीवीवी लक्ष्मी

lakshmi-and-gopiओलिंपिक मेडल विजेता पीवी सिंधू के कोच पुलेला गोपीचंद की पत्नी पीवीवी लक्ष्मी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वह भी एक बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं। 1996 के अटलांटा ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं लक्ष्मी ने पीवी सिंधू की कामयाबी का श्रेय अपने पति गोपीचंद को देते हुए कहा कि सिंधु को जैसा कोच मिला है, वैसा मुझे नहीं मिल पाया और वह कोच मेरे पति हैं।

हैदराबाद में बैडमिंटन अकैडमी चलाने में पति की मदद करने वाली लक्ष्मी ने गोपीचंद के कड़े शेड्यूल का हवाला देते हुए कहा कि जो हम आज नई पीढ़ी को दे रहे हैं, हमारे पास इसकी सुविधा नहीं थी। पुलेला गोपीचंद ने अब तक देश को दो मेडल विजेता दिए हैं। उन्हीं की अकैडमी में कोचिंग लेने वाली साइना नेहवाल ने 2012 के लंदन ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। लक्ष्मी ने कहा, ‘सिंधु के पास मेरे पति जैसा कोच है, जो मेरे पास नहीं था।’

पूर्व ओलिंपियन ने कहा किओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के लिए खिलाड़ियों की आलोचना करना सही नहीं होगा क्योंकि हमारे यहां ढांचागत सुविधाओं का अभाव है। अकैडमी चलाने में गोपी की मदद करने वालीं लक्ष्मी ने कहा, ‘हम इस अकैडमी में ट्रेनिंग लेने के लिए आने वाले बच्चों की वह कठिनाइयां दूर करने की कोशिश में जुटे हैं, जिनका हमें सामना करना पड़ा था। एक समय था कि जब मुख्य स्टेडियम खिलाड़ियों को राजनीतिक और सामाजिक इवेंट्स के चलते उपलब्ध नहीं होता था। एक बार पूरा स्टेडियम इसलिए बंद रखा था क्योंकि वहां बैलट बॉक्स रखे थे।’

दो बार नैशनल बैडमिंटन चैंपियन रह चुकीं लक्ष्मी कहती हैं कि वह ऐसी महिला नहीं हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि एक पुरुष की कामयाबी में एक महिला का हाथ होता है। वह थोड़ी अलग हैं। लक्ष्मी एक साथ कई काम संभालती हैं, वह प्रफेशनल हैं, मां हैं और एक हाउजवाइफ हैं। वह पुलेला गोपीचंद के लिए सपॉर्ट सिस्टम का काम करती हैं। लक्ष्मी सिर्फ अपने दो बच्चों की ही देखभाल नहीं करती हैं, बल्कि वह उनके काम में भी सक्रिय सहयोग देती हैं।

अविभाजित आंध्र प्रदेश की पहली महिला ओलिंपियन रहीं लक्ष्मी कहती हैं कि गोपीचंद की अकैडमी मे खिलाड़ियो को फोकस करने और अपने टैलंट पर भरोसा रखने की सीख दी जाती है। लक्ष्मी ने कहा कि हमने बैडमिंटन अकैडमी की शुरुआत इसलिए की ताकि उन कठिनाइयों को समाप्त किया जा सके, जिनका हमें सामना करना पड़ा था। गोपीचंद चाहते हैं कि भविष्य के खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं मिल सकें।