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पीएम मोदी के सख्त तेवर से गिड़गिड़ाने लगा पाकिस्तान, वर्ल्ड बैंक से कहा- ऐसा करने से भारत को रोको

nawaz-iwatchनई दिल्ली। सिंधु जल समझौते पर संकट के बादल मंडराते ही पाकिस्तान बौखला गया है. 56 साल पुराने इस समझौते के टूटने की आशंका के बीच पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक से गुहार लगाई है. पाकिस्तान से सिंधु जल समझौते को बचाने के लिए वर्ल्ड बैंक मध्यस्थता करने की अपील की है. साथ ही पाकिस्तान औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण (पंचाट) में भी दस्तक दी है.

वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान ने मांगी मदद
पाकिस्तानी न्यूज चैनल डॉन न्यूज के मुताबिक मंगलवार को पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अशतर आसिफ अली की अगुवाई में एक टीम ने वाशिंगटन डीसी स्थित वर्ल्ड बैंक के मुख्यालय पहुंचकर अफसरों से मुलाकात की. पाकिस्तानी टीम ने विश्व बैंक को सिंधु जल समझौते को लेकर 1960 के अनुच्छेद 9 का हवाला देकर मदद मांगी.

भारत के कदम से घबराया पाकिस्तान
दरअसल भारत के सख्त रवैये से पाकिस्तान इतना घबरा गया है कि उसने सिंधु जल समझौते को लेकर उठ रहे विवाद को रोकने के लिए वर्ल्ड बैंक से जल्द जजों की नियुक्ति करने की अपील की है. वहीं पाकिस्तान की गुहार के बाद वर्ल्ड बैंक ने मुद्दों को सुलझाने का आश्वासन दिया है.

झेलम और नीलम नदी पर भारत के प्रोजेक्ट्स को रोकने की मांग
यही नहीं, चेनाब और नीलम नदी पर चले रहे भारत के प्रोजेक्ट्स को लेकर भी पाकिस्तान दहशत में है. वाशिंगटन में वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक में पाकिस्तान ने नीलम और चेनाब नदी पर भारत के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाने की मांग की. पाकिस्तान का कहना है कि भारत नियमों की अनदेखी कर इन नदियों पर हाइड्रो पावर के लिए काम कर रहा है. खबरों की मानें तो पाकिस्तान ने 19 अगस्त को औपचारिक रूप से भारत के झेलम और नीलम नदी पर बन रहे रैटिल हाइड्रोइलेक्टि्रक प्लांट के विवाद को भी सुलझाने की अपील की है. इस संधि को अंजाम देने में विश्व बैंक की अहम भूमिका थी.

भारत ने सिंधु जल समझौता तोड़ने का दिया संकेत
गौरतलब है कि उरी में आतंकवादी हमले के बाद भारत ने 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि पर फिर से विचार को लेकर कदम उठाने का संकेत दिया है, जिसके बाद से ही पाकिस्तान छटपटाने लगा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को दो टूक संदेश देते हुए कहा है कि खून और पानी अब साथ-साथ नहीं बह सकता है. और पाकिस्तान अगर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो फिर भारत सिंधु जल समझौते को निभाने के बाध्य नहीं है.