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पांच साल बाद फिर बाहर आ गया दिव्यांग उपकरण घोटाले का जिन्न, सलमान खुर्शीद घिरे

लखनऊ । यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहते हुए अपने ट्रस्ट के जिस दिव्यांग उपकरण घोटाले में सलमान खुर्शीद घिरे, उसका जिन्न अब पांच साल बाद फिर बाहर आ गया है। जाकिर हुसैन ट्रस्ट के पदाधिकारी पर फर्रुखाबाद में जालसाजी का  आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन(ईओडब्ल्यू) ने मुकदमा किया है। सपा सरकार में सलमान खुर्शीद ने अपना प्रभाव दिखाते हुए जांच रिपोर्ट दबवा दी थी। मगर योगी सरकार में आते ही ईओडब्ल्यू ने जांच रिपोर्ट आगे बढ़ाते हुए उपकरण बांटने में फर्जीवाड़ा करने वाले ट्रस्ट वर्कर पर कायमगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया।

ईओडब्ल्यू की जांच में घोटाले की पुष्टि आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा, यूपी ने फर्रुखाबाद में डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से लगाए गए कैंपों की जांच की। जांच में पता चला कि ट्रस्ट को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता  मंत्रालय नई दिल्ली से कुल 71 लाख रुपये अनुदान मिले थे। जिसमें से चार लाख रुपये फर्रुखाबाद के दिव्यांगों को उपकरण बांटने के लिए जारी हुए। ट्रस्ट ने तीन जून 2010 को 32 लाभार्थियों को सूची प्रस्तुत करते हुए 29 मई 2010 को कायमगंज में कैंप का आयोजन दिखाया। सत्यापन के लिए चेक रिपोर्ट पर तहसीलदार और सीएमओ के हस्ताक्षर भी दिखाए गए। जांच में यह हस्ताक्षर जाली मिले। गौरतलब है कि अवर सचिव भारत सरकार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 19 मई 2011 को निदेशक विकलांग कल्याण उत्तर प्रदेश को जांच करने का आदेश दिया था। इसकी जांच 03 जुलाई 2012 से ईओडब्लू कर रही थी।

ट्रस्ट के इस शख्स ने अफसरों के बनाए जाली दस्तावेज ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारी ने पाया कि 29 मई 2010 को फर्रुखाबाद के कायमगंज में कोई कैंप नहीं लगाया गया। बिना कैंप लगाए फर्जी दस्तावेज ट्रस्ट के पदाधिकारी प्रत्यूष शुक्ल, निवासी गोमती नगर लखनऊ ने तैयार किए। टेस्ट चेक रिपोर्ट के बाद ईओडब्लू के इंस्पेक्टर राम शंकर यादव ने सदर कोतवाली में जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट फर्रुखाबाद और उसके प्रतिनिधि प्रत्युश शुक्ला निवासी खतराना स्ट्रीट फर्रुखाबाद व स्थानीय पता मदर हाउस विवेक खंड गोमती नगर लखनऊ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।  प्रत्यष व इस काम में सहयोग करने वाले अन्य लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 467,468, 471 और 120 बी के तहत केस दर्ज कराया है।

वर्ष 2012 में सलमान खुर्शीद के ट्रस्ट की ओर से हुए इस फर्जीवाड़े को खोजी पत्रकार दीपक शर्मा ने उजाकर किया था। तब कैमरे के सामने कई कथित लाभार्थियों ने बयान दिए थे कि उन्हें उपकरण नहीं मिला, न जाने कैसे सूची में नाम डाल दिया गया। इससे साफ पता चला कि ट्रस्ट ने बिना उपकरण बांटे ही पैसा हजम कर लिया। उस वक्त सलमान खुर्शीद की खासी फजीहत हुई। उन्हें प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई देनी पड़ी थी। यह प्रेस कांफ्रेंस भी काफी हंगामेदार रही थी।