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पहला लोन भारत को दे सकता है चीन की अगुवाई वाला बैंक

aiibनई दिल्ली। भारत को उम्मीद है कि उसे चीन की अगुवाई वाला एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) अपना पहला लोन इसी साल दे देगा। एक अधिकारी ने बताया कि सोलर पावर प्रॉजेक्ट्स के लिए भारत इस नवगठित बैंक से 500 मिलियन डॉलर ( करीब 3310 करोड़ रुपये) जुटाना चाहता है।

स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए फंडिंग से पर्यावरण के पैरोकारों की वह आशंकाएं भी दूर होंगी कि मानदंडों में नरमी बरतकर लोन देने से भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में कोयला जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ईंधन की खपत को बढ़ावा मिलेगी क्योंकि ये देश ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की होड़ में हैं। 100 बिलियन डॉलर (करीब 66 खरब रुपये) की अधिकृत पूंजी वाले बैंक की योजना वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा पहलों से जुड़ने की है। ऐसे में यह प्रदूषण बढ़ाने में योगदान देने के आरोपों से बचने के लिए यह इको-फ्रेंडली इन्वेस्टमेंट को फंडिंग कर सकता है।

2022 तक सौर ऊर्जा की क्षमता बढ़ाकर 100 गिगावॉट्स करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन के बाद बैंक में दूसरा बड़ा साझेदार भारत एआईआईबी से उधार लेने की सोच रहा है। न्यू ऐंड रीन्युएबल एनर्जी मिनिस्ट्री में जॉइंट सेक्रटरी तरुण कपूर ने कहा, ‘करीब छह महीनों में एआईआईबी से पैसे आने शुरू हो जाएंगे।’

15 साल के लिए लोन पर 2 से 2.5 प्रतिशत तक का ब्याज लग सकता है जिसे LIBOR (कमर्शल बैंकों के बीच लेन-देन की दर आधारित बदलते रहने वाला बेंचमार्क) से जोड़ दिया जाएगा। इसी साल जनवरी में लॉन्च्ड चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित एआईआईबी ने भारत द्वारा उधारी की तलाश पर कोई डायरेक्ट टिपण्णी नहीं की, लेकिन कहा कि कई देशों के साथ प्रॉजेक्ट पाइपलाइन विकसित की जा रही है। बैंक ने कहा, ‘पहला लोन देने का फैसला इसी साल लिए जाने की संभावना है।’

भारत ने छतों पर सौर ऊर्जा सिस्टम लगाने और सोलर पार्क्स से जुड़ने के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क्स के विस्तार के लिए एशियन डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) से 500-500 मिलियन डॉलर (करीब 66 अरब रुपये) फाइनैंस करने का आग्रह किया है। दरअसल, सौर ऊर्जा के विस्तार को मदद देने के लिए एडीबी ने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनैशनल डिवेलपमेंट (यूएसऐड) के साथ कॉपरेशन अग्रीमेंट पर साइन किया है।

दरअसल, भारत वित्तीय वर्ष 2016-1में 3 बिलियन डॉलर (करीब 198 अरब रुपये) से ज्यादा जुटाने के लिए वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक, जर्मनी के केएफडब्ल्यू और ब्रिक्स ब्लॉक में शामिल बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा स्थापित न्यू डिवेलपमेंट बैंक से बाचचीत कर रहा है। एक आकलन के मुताबिक, भारत को अगले 6 से 7 सालों में 5,800 मेगावॉट की मौजूदा सौर ऊर्जा क्षमता को करीब 17 गुना बढ़ाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में 100 बिलियन डॉलर (करीब 66 अरब रुपये) की जरूरत होगी।

स्वच्छ भारत मिशन के लिए वर्ल्ड बैंक के साथ करीब 100 अरब रुपये का लोन अग्रीमेंट
सरकार तथा विश्वबैंक ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के लिए 1.5 अरब डॉलर (करीब 100 अरब रुपये) के लोन अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। इसका मकसद के भारत के स्वच्छता अभियान को समर्थन देना है। ‘एसबीएम सपॉर्ट ऑपरेशन प्रॉजेक्ट’ के लिए समझौते का उद्देश्य सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में सभी नागरिकों को बेहतर साफ-सफाई उपलब्ध कराने के साथ खुले में शौच को 2019 तक समाप्त करने के प्रयास में मदद करना है।

स्वच्छ भारत मिशन स्वच्छता के लिए देश का सबसे बड़ा अभियान है। इसका मकसद खुले में शौच को समाप्त करना तथा तरल एवं ठोस कचरे का बेहतर प्रबंधन करना है। आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव राज कुमार ने कहा, ‘परियोजना से ग्रामीण समुदाय के बीच व्यवहार में बदलाव लाने को बढ़ावा मिलेगा और प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन देकर देश के राज्यों में तेजी से परिणाम लाने में मदद मिलेगी।’ लोन अग्रीमेंट पर सरकार की तरफ से कुमार और विश्व बैंक की तरफ से भारत में क्षेत्रीय निदेशक ओनो रुल ने दस्तखत किए।

इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए 14,250 करोड़ रुपये का लोन देगा जापान
जापान ने भारत को पांच बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास के लिए 242.2 अरब येन या 14,251 करोड़ रुपये का कर्ज देने की प्रतिबद्धता जताई है। इनमें मालगाड़ियों के लिए विशेष गलियारा परियोजना भी शामिल है। यह लोन आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) के रूप में दी जाएगी। इनमें मध्य प्रदेश की ट्रांसमिशन सिस्टम मजबूत करने के लिए 15.45 अरब येन, ओडिशा की एकीकृत साफ-सफाई सुधार परियोजना (दो) के लिए 25.7 अरब येन और समर्पित माल गलियारा (चरण एक) (तीन) के लिए 103.6 अरब येन यानी 6,170 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी।

इनके अलावा पूर्वोत्तर की सड़क नेटवर्क संपर्क सुधार योजना के लिए 67.1 अरब येन,झारखंड में सूक्ष्म ड्रिप सिंचाई परियेाजना के जरिए बागवानी में सुधार की परियोजना के लिए 4.65 अरब येन दिए जाएंगे। यह कर्ज जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जिका) के जरिए दिया जाएगा। ओडीए को व्यापक तौर पर द्विपक्षीय मदद और बहुपक्षीय मदद के रूप में बांटा जा सकता है। द्विपक्षीय मदद के तहत विकासशील देशों को सीधे मदद दी जाती है, जबकि बहुपक्षीय मदद अंतरराष्ट्रीय संगठनों के जरिए दी जाती है।

जिका द्वारा द्विपक्षीय मदद तकनीकी सहयोग, जापानी ओडीए ऋण और अनुदान सहयता के रूप में दी जाती है। वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इस बारे में नोट्स का आदान-प्रदान आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव एस सेल्वाकुमार और भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु के बीच किया गया।