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परेश मैसटा के हत्यारे हुए गिरफ्तार ,क्या सिद्धारमैया सरकार जो परेश मैसटा की मौत को प्राकृतिक साबित करने में तुली थी के पास है अब कोई जवाब

दिसंबर में, कर्नाटक में परेश मेस्टा को कुछ  लोगों द्वारा बेरहमी से मारा गया था|इतनी क्रूरता से परेश की हत्या की गयी की इंसानियत भी शरमसार हो गयी|उसके ऊपर चाकू और तेज वस्तुओं के साथ बार-बार अत्याचार और प्रहार किया गया था। जब वह जीवित था उसकी आंखों में गरम तेल डाल दिया गया था, उसके जननांगों को भी काट दिया गया था, उसके सिर को अलग कर दिया गया और उसके बाद उसे झील में फेंक दिया गया।

किसी धर्मनिरपेक्ष-उदारवादी जो शांति के योद्धा होने का दावा करते है,उन्होंने इस क्रूर हत्या के खिलाफ विरोध नही किया उल्टा सिद्धारमैया और उनकी छद्म धर्मनिरपेक्ष पार्टी कांग्रेस ने अपराधियों, आतंकवादियों और राष्ट्रीय विरोधी तत्वों का समर्थन किया|उन्होंने परेश मैसटा की मौत को प्राकृतिक मौत का रूप देने की कोशिश करते हुए ये चित्रित किया की वो झील में गलती से फिसल गया और मर गया|

यहाँ तक की डॉ। शंकर एम बक्कनवार (कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर) की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार भी ये साबित करने की कोशिश की गयी की  मृतक के शरीर पर हथियारों के कारण कोई चोट नही है और ये निशान कुंद बल आघात के कारण हो सकता है।लेकिन इस रिपोर्ट को तभी परेश के पिता ने खारिज कर दिया|परेश के गुनह्गारों के खिलाफ गिरफ्तारी और कार्रवाई करने के बजाय सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने 63 मासूमों और बेकसूरों के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया|पुलिस ने परेश मैसटा की मृत्यु के बाद दंगे और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के झूठे आरोप उन पर लगा दिए|

भले ही तब भाजपा सरकार ने इस बात की और इशारा भी किया था कि हत्यारे पीएफआई से तालुक रखते है पर कर्नाटक सरकार ने उन सांप्रदायिकों को गिरफ्तार करना आवश्यक नही समझा| लेकिन जब विरोध ज्यादा गहन हो गया फिर गृह मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, “हमने फैसला लिया है कि वह इस मामले पर सीबीआई को सौंपें मैंने पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को निर्देश दिया है और की वे सारी औपचारिकताएं पूरी करे| इस मामले को उसके बाद सीबीआई को सौंप दिया गया।

अब, जांच सही दिशा की और बड़ रही है दो दिन पहले ही पुलिस ने परेश मैसटा के दो हत्यारों सलीम शेख और आजाद एनेगेरी को गिरफ्तार किया था और अब पुलिस ने एक और हत्यारे आसिफ राफिक को गिरफ्तार कर लिया है|

अगर परेश मेस्टा की मौत अकस्मात हुई थी झील में फिसलने की वजह से तो फिर  पुलिस ने क्यों इन तीन लोगों को गिरफ्तार किया है?इससे ये बिलकुल स्पष्ट है की परेश मैसटा को इन जिहादी कट्टरपंथियों द्वारा मारा गया है|

भाजपा नेताओं ने तब भी यह आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है|यहाँ तक की अदालत ने भी कर्णाटक सरकार को फटकार लगाई थी की परेश मेस्टा के केस में उन 63 मासूमों को गिरफ्तार क्यूँ किया गया है और उन्होंने पहले कोई कदम न उठाते हुए हिंसा को बड़ने दिया और इस सब के पीछे तो एक  राजनीतिक लालसा दिखाई दे रही है|और ये सभी मासूम तो कॉलेज जाने वाले बच्चे है|इनका हिंसा पैदा करने का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं है  और ना ही वे आपराधिक गतिविधि में शामिल है|

यहां तक ​​कि हिंदु समूहों द्वारा चुप्पी विरोध के दौरान भी पुलिस मूक होकर सब देख रही थी जब कुछ मुस्लिम लोग कई जगहों पर हिंसक हो रहे थे| अपनी किशोर अवस्था में ही परेश अपनी आँखों में सपने समाये हुए मौत की नींद सोगया|परेश के माता पिता को उनका पुत्र तो कभी वापिस नही मिल सकता पर हाँ इन अपराधियों और हत्यारों के पकड़े जाने से उनके मन को थोड़ा सा सकून तो मिलेगा|