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नोटबंदी पर बोले अमित शाह, ‘गायब हो गया ममता और मायावती के चेहरे का नूर’

amit-shah-upशाहजहांपुर/लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया है कि नोटबंदी का विरोध करने वाले दल नहीं चाहते कि राजनीति से कालाधन समाप्त हो और इसीलिए उन्होंने संसद में राजनीतिक चंदा लेने की पद्धति पर चर्चा नहीं होने देने के लिए शीतकालीन सत्र नहीं चलने दिया.

परिवर्तन रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक चंदा लेने की पद्धति पर चर्चा करने का सुझाव दिया था और यह भी कहा था कि पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक ही साथ होने चाहिए. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मगर विपक्ष ने पूरे शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा नहीं होने दी…वे चाहते ही नहीं हैं कि राजनीति से कालाधन जाए.. मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करना चाहता हूं कि हमें मोदी जी के प्रस्ताव पर चर्चा करनी चाहिए, ताकि राजनीति में शुचिता लायी जा सके. ’’

नोटबंदी का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि सबसे ज्यादा दर्द उन्हें हो रहा है जिनके अरबों खरबों रूपये रद्दी में बदल गये हैं. उन्होंने रैली के जरिए जनता से सीधा संवाद करने की शैली में कहा, ‘‘आपने ममता बनर्जी और मायावती के चेहरों को देखा है…चेहरे का नूर गायब हो गया है और एक ही दिन में उनकी उम्र दस साल बढ़ गयी लगती है.’’

शाह ने नोटबंदी के निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि मोदी के एक ही निर्णय ने तस्करों, नक्सलियों, आतंकवादियों और जाली नोटों के गोरखधंधे में लगे लोगों को ठीक कर दिया है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश की राजनीति में गत 15 सालों से हावी एसपी, बीएसपी पर हमला बोलते हुए कहा कि जाति और परिवारवाद चलाने वाले दल राज्य का विकास नहीं कर सकते और इसके लिए बीजेपी की दो तिहाई बहुतम वाली सरकार जरूरी है.

शाह ने कहा, ‘‘पिछले 15 साल से चाचा-भतीजा और बुआ-भतीजा प्रदेश पर राज कर रहे है और इसका विकास नहीं होने दे रहे है. वे नहीं चाहते कि केन्द्रीय योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचे, उन्हें डर है कि इससे मोदी की लोकप्रियता बढेगी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में किसानों तक किसान फसल बीमा योजना का लाभ पहुंचा ही नहीं क्योंकि चाचा भतीजा यह तय नहीं कर पाये कि बीमा कंपनी के प्रीमियम का कमीशन कौन लेगा.’’

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस दावे पर कि कांग्रेस से गठबंधन होने पर वह विधानसभा की 300 सीटें जीत लेंगे, शाह ने कहा कि उन्हें हार दिखने लगी है. साथ ही यह भी चुनौती दी कि सभी पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड लें तो भी बीजेपी को हरा नही पायेंगी. जनता ने यूपी में बीजेपी की सरकार बनाने का फैसला कर लिया है.

शाह ने तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश बाबू उस राहुल बाबा के सहारे सरकार बनाने की योजना बना रहे है जिनकी पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल में 12 लाख करोड़ रूपये का घोटाला किया है. उन्होंने बीएसपी मुखिया मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड नहीं बनाया गया है, यदि बनेगा तो बहनजी (मायावती) नंबर एक पर रहेंगी.’’

तीन तलाक के मुददे पर शाह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्पष्ट राय रख दी है कि सभी महिलाओं के हितों की रक्षा होनी चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म की हों. उन्होंने इस मामले में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि एसपी, बीएसपी और कांग्रेस सब चुप हैं, हां या नहीं, कुछ नहीं कहते हैं.

अमित शाह ने महिलाओं से अपील की कि जब इन दलों के नेता वोट मांगने आये तो वह उनसे पूछें कि वे तीन तलाक के मुददे पर क्या राय रखते है और महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि बड़े मूल्य के नोटों के विमुद्रीकरण का फैसला जल्दबाजी में नहीं, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परामर्श के तहत लिया गया. इंडिया टेलीविजन के कार्यक्रम आप की अदालत में अमित शाह ने कहा कि 50 दिनों की समय सीमा 30 दिसंबर को खत्म हो रही है, जिसकी योजना बेहद सोच-समझकर बनाई गई थी. एटीएम तथा बैंकों को 30 दिसंबर की समय सीमा तक नकदी की समस्या से निजात मिल जाएगी.

शाह ने कहा, “आरबीआई से न तो कुछ छिपाया गया और उससे परामर्श नहीं लेने की बात भी गलत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी का फैसला सक्षम अधिकारियों से परामर्श के बाद लिया गया. यह फैसला न तो जल्दबाजी में लिया गया और न ही जल्दबाजी का कोई कारण था.”

वर्तमान में नकदी की कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा नोटों की छपाई में विलंब की वजह से हुआ. उन्होंने कहा, “नोटों की छपाई में विलंब की वजह से नकदी की कमी हुई और इसे गंतव्यों तक पहुंचाने में लगने वाले समय के कारण 50 दिनों की समय सीमा तय की गई. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि 50 दिनों की समय सीमा के बाद बैंकों के बाहर कतारें खत्म हो जाएंगी, लेकिन अधिकांश परेशानी खत्म हो जाएगी.”

बीजेपी अध्यक्ष ने यह उम्मीद भी जताई कि दो महीने के अंदर फैक्ट्रियों में व्यापार पटरी पर आ जाएगा. उन्होंने कहा, “फैक्ट्रियां नकदी की कमी की वजह से बंद नहीं हैं, बल्कि उनमें लगभग 30-40 फीसदी लेनदेन जो पहले चेक के माध्यम से नहीं हो रहे थे, अब उनमें बदलाव होगा और व्यापारी उस लेनदेन को बही में दर्ज करेंगे.”