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नीतीश आज विधानसभा में हासिल करेंगे विश्वासमत, राजद अपना सकती है आक्रामक रुख

पटना। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी नई सरकार आज (शुक्रवार को) राज्य विधानसभा में विश्वासमत हासिल करेगी. मंत्रिमंडल समन्वय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने पत्रकारों से कहा, ‘बिहार विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र शुक्रवार को बुलाया गया है, जिसमें नई सरकार विश्वास मत हासिल करेगी’. मेहरोत्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी के बेहद संक्षिप्त राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सत्र के लिए दो एजेंडा तय किए गए हैं.

पहला एजेंडा पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार के 28 जुलाई से 3 अगस्त तक दोनों सदनों का पांच दिवसीय मानसून सत्र बुलाने के फैसले को रद्द करना है. उन्होंने कहा, ‘दूसरा एजेंडा विश्वास मत हासिल करने के लिए शुक्रवार को विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाना है’. राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने शपथ लेने के दो दिनों के भीतर मुख्यमंत्री से विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा है.

एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें नवगठित मंत्रिपरिषद विश्वासमत प्राप्त करेगी. नीतीश कुमार सरकार के पास 132 विधायकों का समर्थन हैं, जिसमें से 71 विधायक जदयू के, 53 भाजपा के, दो रालोसपा के, दो एलजीपी के, एक एचएएम का और तीन निर्दलीय विधायक हैं. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है.

सत्र हंगामेदार रहने की आशंका है, क्योंकि राजद आक्रामक रूख अपना सकती है. राजद ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद उसे सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया. राजद ने कांग्रेस के 27, माकपा-एमएल के दो विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है. राजद नेताओं ने यह भी दावा किया कि भाजपा के खिलाफ 2015 बिहार विधानसभा चुनाव जीतने वाले कई जदयू विधायक कल होने वाले विश्वास मत के दौरान उनके पाले में आ सकते हैं.

उल्‍लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके साथ ही 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार अचानक गिर गई. भाजपा के समर्थन से गुरुवार को नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वह छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. वहीं, भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने उप मुख्‍यमंत्री शपथ ली.

नीतीश के इस्तीफे का कारण राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के साथ नीतीश की तनातनी को माना जा रहा है. जदयू का कहना है कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन नीतीश के कहने के बावजूद उन्होंने इन आरोपों का तथ्यात्मक जवाब नहीं दिया. वहीं, लालू का कहना है कि आरोप निराधार है, तेजस्वी सीबीआई को जवाब देंगे, नीतीश सीबीआई के निदेशक नहीं हैं. जबकि नीतीश का कहना है कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दिया.