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नरेंद्र मोदी को इंदिरा गांधी का उत्तराधिकारी कहना जल्दबाजी होगा: रामचंद्र गुहा

guhaनई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से करना जल्दबाजी होगा और अभी यह नहीं कहा जा सकता कि उनका रवैया तानाशाहीपूर्ण है। मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने शनिवार को टाइम्स लिटरेचल फेस्टिवल में यह बात कही। रामचंद्र गुहा ने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी है कि नरेंद्र मोदी ‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सच्चे उत्तराधिकारी हैं।’ गुहा ने कहा, ‘इंदिरा गांधी के बाद से अब तक हमारा लोकतंत्र खासी प्रगति कर चुका है।’

नोटबंदी समेत पीएम मोदी के तमाम फैसलों को मनमाना करार देने और इंदिरा से तुलना करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘यह कहना बहुत जल्दबाजी है कि वह इंदिरा के सच्चे उत्तराधिकारी हैं।’ रामचंद्र गुहा ने कहा कि भारत का स्वभाव ही ऐसा है कि यदि कोई नेता डिक्टेटर बनने की कोशिश करता है तो जनता उसको लंबे समय तक सत्ता में नहीं रखती। रामचंद्र गुहा ने लिट फेस्ट में ‘इंडिया ऐट 70’ टॉपिक पर बोलते हुए यह बातें कहीं।

गुहा ने कहा कि आजादी के 70 सालों में भारतीयों को आंदोलन की आजादी मिली है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी का ‘बड़े पैमाने पर’ हनन हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास फ्रीडम ऑफ मूवमेंट और फ्रीडम ऑफ असोसिएशन है। यह अधिकार चीनियों के पास भी नहीं है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में ऐसा नहीं है। भारत में इसकी कमी है, जो किसी एक लोकतंत्र में नहीं होनी चाहिए।’ कश्मीर के हालातों का हवाला देते हुए गुहा ने कहा कि जुलाई में शुरू हुई हिंसा के बाद से घाटी में शटडाउन के हालात हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने स्थिति को सही ढंग से नहीं संभाला।

उन्होंने कहा कि हमें किसी भी मतभेद को हिंसा की बजाय संवाद से दूर करने का रास्ता अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समस्या से ग्रस्त राज्य में पत्थरबाजों से निपटने के लिए ताकत के अधिक इस्तेमाल और रबर बुलेट्स के इस्तेमाल पर जोर देते रहे हैं, जिससे लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है।

जॉबलेस ग्रोथ से बढ़ रहा है असंतोष
दिग्गज इतिहासकार ने देश के कई हिस्सों में असंतोष के कारणों पर बात करते हुए कहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह जॉबलेस ग्रोथ है। यह हमारी विकास की कहानी का स्याह पक्ष है। गुहा ने कहा, ‘कृषि स्थिर हो चुकी है और हम युवा पीढ़ी के लिए पर्याप्त नौकरियां नहीं पैदा कर पा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि विकास की राह में हम पर्यावरण की अनदेखी कर रहे हैं, जिसके चलते समस्या और गहरा रही है। गुहा ने कहा, ‘भारत में पर्यावरण की समस्या गहरी हो चुकी है। यह देश की दूसरी सबसे बड़ी समस्या है और इसका हम पर बड़ा असर पड़ रहा है। हमारा राजनीतिक नेतृत्व पर्यावरण की बढ़ती समस्या को लगातार नजरअंदाज करता रहा है।’