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दावोस में बोले डोनाल्ड ट्रंप- अमेरिका फर्स्ट का मतलब, अमेरिका अकेला नहीं

दावोस। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनके लिए अमेरिका सबसे पहले (America first) है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि अमेरिका अकेला है. शुक्रवार को स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम मुक्त व्यापार का समर्थन करते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि यह निष्पक्ष होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार के लिए दोनों ओर से निष्पक्षता जरूरी है.

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर अमेरिका आगे बढ़ता है, तो दुनिया आगे बढ़ती है. यदि कुछ देश सिस्टम का दुुरुपयोग करते हैं, तो हम मुक्त और खुला व्यापार का समर्थन नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब अमेरिका आंख मूंदकर अनुचित व्यापार (Unfair Trade) की  इजाजत नहीं दे सकता है. उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर बौद्धिक संपदा चोरी (intellectual Proprty theft), इंडस्ट्रियल सब्सिडीज और राज्य के नेतृत्व वाली आर्थिक योजना (pervasive state-led economic planning) ग्लोबल मार्केट को नुकसान पहुंचाते हैं. इस दौरान ट्रंप ने मीडिया को इतनी ज्यादा आजादी दिए जाने की भी कड़ी आलोचना की.

उन्होंने कहा, ”मैं यहां पर अमेरिका के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करता हूं. साथ ही इस बात की पुष्टि करता हूं कि अमेरिका के दोस्त और  सहयोगी दुनिया को बेहतर बना रहे हैं.” उन्होंने कहा कि हर बच्चे का लालन-पालन हिंसा, गरीबी और भय मुक्त माहौल में हो. ट्रंप ने कहा कि हम अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर ISIS जैसे आतंकी संगठनों का विनाश करने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन को यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है कि इराक और सीरिया को ISIS के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है.

इससे पहले इसी सप्ताह पीएम मोदी ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने आतकंवाद, जलवायु परिवर्तन और संरक्षणवाद को दुनिया के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौती बताया था. पीएम मोदी के दावोस में दिए गए भाषण की दुनियाभर में चर्चा हुई थी. यहां तक कि भारत के पड़ोसी प्रतिद्वंदी चीन ने भी पीएम के भाषण की तारीफ की थी.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संरक्षणवाद के खिलाफ दिया भाषण सुना है. उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी का बयान दर्शाता है कि मौजूदा वक्त में ग्लोबलाइजेश दुनिया का ट्रेंड बन गया है. इससे विकासशील देशों समेत सभी मुल्कों को लाभ पहुंचता है. संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने और ग्लोबलाइजेशन को बढ़ावा देने में भारत और चीन के बीच काफी समानता है.’