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जैश, लश्कर को सैन्य और आर्थिक मदद देती है ISI: हेडली

mum9मुंबई। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली ने मुंबई अटैक के सिलसिले में कई और अहम खुलासे किए हैं। मंगलवार को भी उसे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। मुंबई कोर्ट में हेडली की गवाही की प्रक्रिया अब खत्म हो गई है।
कोर्ट के सामने दूसरे दिन पेश होते हुए हेडली ने बताया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकी संगठनों, जैश और लश्कर को आर्थिक और सैन्य मदद देती है। उसने कहा कि कई आतंकी गुट ‘यूनाइटेड जिहाद काउंसिल’ के लिए काम करते हैं।

सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के मुताबिक, हेडली ने खुलासा किया कि साल 2007 में वह पत्नी के साथ मुंबई के ताज होटल में ठहरा था और उसी वक्त बड़े हमले को अंजाम देने का प्लानिंग थी। हेडली ने मुंबई में हमजा और मेजर इकबाल से भी मुलाकात की थी।

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गौरतलब है कि सोमवार की गवाही के दौरान उसने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद का भी नाम लिया था और कहा था कि 26/11 को अंजाम देने से पहले भी हमले की दो कोशिशें हुई थीं। हालांकि, तीसरा हमला कामयाब हो सका। हेडली के मुताबिक, पहली कोशिश सितंबर और दूसरी कोशिश अक्टूबर, 2007 में की गई थी।

हेडली ने बताया कि वह हाफिज सईद से ‘प्रभावित’ होकर आतंकी संगठन में शामिल हुआ। उसने कहा कि वह लश्कर में मुख्य रूप से साजिद मीर के संपर्क में था। हेडली ने बताया कि साल 2002 में पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में उसने पहली बार साजिद के साथ ही ‘ट्रेनिंग’ ली थी। साजिद मीर भी इस मामले में एक आरोपी है।

आतंकवादी हमलों में शामिल होने के मामले में अमेरिका में 35 वर्ष की जेल की सजा भुगत रहे हेडली ने सोमवार को खुलासा किया था कि उसने 2006 में अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रख लिया था ताकि वह भारत में प्रवेश कर सके और यहां कोई कारोबार स्थापित कर सके।

हेडली ने सोमवार को कहा था कि मैंने फिलाडेल्फिया में पांच फरवरी 2006 को नाम बदलने के लिए आवेदन दिया था, मैंने नए नाम से पासपोर्ट लेने के लिए अपना नाम बदलकर डेविड हेडली रख लिया था।