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जीएसटी के स्लैब से आम आदमी को होंगे क्या फायदे

3gstनई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की ओर से मंजूर की गई टैक्स की दरों को लेकर डेलॉएटे हास्किंस ऐंड सेल्स से जुड़े प्रशांत देशपांडे का कहना है कि यह 4 स्तरीय जीएसटी स्लैब उम्मीदों के मुताबिक ही है। काउंसिल ने लग्जरी कारों, तंबाकू और कार्बोरेटेड ड्रिंक्स पर अधिकतम टैक्स की सिफारिश कर साफ कर दिया है कि इन इंडस्ट्रीज को थोड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। लेकिन, आम आदमी के मुताबिक देखें तो जीएसटी काउंसिल की ओर से मंजूर किया गया टैक्स स्लैब मिला-जुला है।

सर्विसेज पर टैक्स की दर स्पष्ट नहीं
प्रशांत देशपांडे कहते हैं, ‘गुड्स पर बहुस्तरीय कर ढांचा तय किया गया है। लेकिन सर्विसेज पर टैक्स की दर स्पष्ट नहीं है। उम्मीद है कि इस पर सिंगल रेट स्ट्रक्चर ही तय किया जाएगा।’

आम आदमी को होगा फायदा
जन सामान्य द्वारा रोजमर्रा की जरूरतों में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं पर 6 पर्सेंट की बजाय 5 पर्सेंट टैक्स लगाकर आम लोगों के हितों का ख्याल रखने की कोशिश की गई है। पहले रोजमर्रा के आइटम्स पर 6 पर्सेंट टैक्स लगाए जाने की बात की जा रही थी। हालांकि यह दिलचस्प होगा कि सरकार किन वस्तुओं को रोजमर्रा की जरूरत के दायरे में शामिल करती है। अब यह जरूरी है कि इस दायरे में शामिल वस्तुओं की सूची तैयार कर ली जाए। डेलॉएटे हास्किंस ऐंड सेल्स के सीनियर डायरेक्टर एमएस मणि ने कहा कि यह निश्चित किया जाना भी जरूरी है कि ज्यादातर मैन्युफैक्चर्ड प्रॉडक्ट्स को 18 पर्सेंट के दायरे में ही रखा जाए। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा आइटम्स को 28 पर्सेंट की स्लैब से बाहर रखे जाने की कोशिश होनी चाहिए। 4 स्लैब्स में वस्तुओं का वर्गीकरण पूरी सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।

रेट के मुताबिक प्रॉडक्ट्स का वर्गीकरण जरूरी
मणि कहते हैं, ‘चार स्तरीय जीएसटी स्लैब तैयार करना एक अच्छी शुरुआत है। अब पूरा ध्यान इन स्लैब्स के तहत प्रॉडक्ट्स के निर्धारण करने पर लगाया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि भले ही कुछ प्रॉडक्ट्स को पूर्व में लग्जरी माना जा रहा हो, लेकिन उनमें से कई ऐसे हैं, जो आज के दौर में दैनिक जरूरत का हिस्सा बन चुके हैं।’

सेस वसूलना जीएसटी का दुरुपयोग
पीडब्ल्यूसी इंडिया की अनीता रस्तोगी कहती हैं, ‘यह अच्छी बात है कि केंद्र और राज्य सरकारें जीएसटी स्ट्रक्चर पर राजी हो गई हैं। लेकिन 28 पर्सेंट का टैक्स चौंकाने वाला है। सेस वसूलने का प्रावधान पूरी तरह से जीएसटी को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश करने जैसा है। अब सबसे महत्वपूर्ण कदम स्लैब के मुताबिक प्रॉडक्ट्स का वर्गीकरण करना होगा।’