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जब पाकिस्तान के ‘ऑपरेशन बद्र’ पर भारी पड़ा भारत का ‘ऑपरेशन विजय’

नई दिल्ली। लद्दाख की ऊंची चोटियों पर लड़े गए कारगिल युद्ध को खत्म हुए आज 21 साल पूरे हो गए हैं. यह ऐसा युद्ध था, जिसमें भारतीय सेना ने करीब 18 हजार फुट से ज्यादा ऊंची चोटियों पर बैठे दुश्मनों को मार भगाया था. इस युद्ध में जीत हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने  ‘ऑपरेशन बद्र’ शुरू किया था. लेकिन भारत का ‘ऑपरेशन विजय’ पाकिस्तान के ऑपरेशन पर भारी पड़ा. इस युद्ध में पाकिस्तान ने न केवल अपने 700 सैनिक गंवा दिए बल्कि ऐसी मनोवैज्ञानिक मार भी खाई. जिससे वह आज तक उबर नहीं पाया है.

कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 के बीच लद्दाख में कारगिल की चोटियों पर लड़ा गया था.  इस युद्ध के जरिए पाकिस्तान कश्मीर और लद्दाख को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क को अपने कब्जे में लेना चाहता था. साथ ही सियाचिन ग्लेशियर से भारतीय सेना को भी हटा देना उसका मकसद था. इसके लिए जनरल परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में पाकिस्तान के फौजी शासकों ने साजिश रची और ऑपरेशन बद्र शुरू करके करीब 5000 सैनिकों को मुजाहिद्दीनों के भेष में कारगिल भेज दिया.

ऑपरेशन करीब 60 दिनों तक चला
ये पाकिस्तानी सैनिक धीरे- धीरे करके कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाकर बैठ गए. पाकिस्तानी सैनिक अपने साथ भारी मात्रा में हथियार और खाने पीने का सामान भी लेकर आए थे. वे लंबे युद्ध के लिए पूरी तरह तैयारी करके आए थे. भारतीय सेना को पाकिस्तान की इस नापाक साजिश की भनक लगी तो पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ ऑपरेशन विजय शुरू किया गया. भारत सरकार ने पाकिस्तान से युद्ध लड़ने के लिए 2 लाख सैनिकों को कारगिल की ओर मूव किया. यह ऑपरेशन करीब 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ. इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया.

युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं. लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी. लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और  करीब 5000 घुसपैठिए इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से आमने- सामने हुए. भारतीय सेना और वायुसेना के संयुक्त ऑपरेशन में कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानियों पर धावा बोला गया. भारत के जबरदस्त प्रहार और अंतरराष्ट्रीय जगत में धीरे- धीरे बढ़ रहे अलगाव ने पाकिस्तान को कारगिल की ऊंची चोटियों से पीछे भागने के लिए मजबूर कर दिया. परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था. जिसे भारत ने अपने नाम किया. इस युद्ध से प्रेरणा लेकर एलओसी कारगिल, लक्ष्य और धूप जैसी फिल्में भी बनी.

भारतीय वायुसेना ने किया मिराज, मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल
भारतीय वायुसेना ने इस युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ मिराज, मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया. इन विमानों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे दुश्मनों पर अचूक बम गिराए. जिससे उनमें भगदड़ मच गई. मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया. इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का इस्तेमाल किया गया. इस युद्ध में बोफोर्स तोपों ने भी पाकिस्तान पर जमकर कहर ढाया. इन तोपों की मदद से करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए. वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेटों का इस्तेमाल किया गया. युद्ध के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया.

कारगिल युद्ध में भारत ने 527 वीर योद्धाओं को खोया. वहीं 1300 से ज्यादा सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए. पाकिस्तान के 700 सैनिक अधिकृत रूप से इस युद्ध में मारे गए और 240 सैनिक युद्ध छोड़कर भाग गए. हालांकि अनधिकृत रिकॉर्डों के मुताबिक इस युद्ध में पाकिस्तान ने अपने 2900 से ज्यादा सैनिक गंवा दिए थे. हालांकि वह कभी भी इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता. इस युद्ध के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था.

घटनाक्रम
3 मई 1999 : एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचनी दी.
5 मई : भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुँची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 की हत्या कर दी.
9 मई : पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया.
10 मई : पहली बार लदाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया.
26 मई : भारतीय वायुसेना को कार्यवाही के लिए आदेश दिया गया.
27 मई : कार्यवाही में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया.
26 जुलाई : कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया . भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के पूर्ण निष्कासन की घोषणा की.