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चीन मचा रहा झूठा शोर, मोदी-चिनफिंग द्विपक्षीय बातचीत का कोई कार्यक्रम तय ही नहीं था: सूत्र

नई दिल्ली। चीन द्वारा जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में G-20 शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और शी चिनफिंग के बीच कथित द्विपक्षीय बातचीत रद्द करने के मुद्दे पर भारत ने कहा है कि ऐसा कोई कार्यक्रम तय ही नहीं था। दरअसल चीन ने गुरुवार को कहा कि हैम्बर्ग में मोदी-चिनफिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत के लिए ‘माहौल सही नहीं है।’ हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ को सरकार से जुड़े उच्च सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के मुलाकात का कोई कार्यक्रम तय ही नहीं था। सूत्र ने बताया कि किसी भी पक्ष ने द्विपक्षीय बैठक के लिए अनुरोध नहीं किया था इसलिए बातचीत रद्द होने का सवाल ही नहीं है।

जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में शुक्रवार से जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरूआत हो रही है। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी हिस्सा लेने वाले हैं। ऐसी चर्चाएं थीं कि सिक्किम सेक्टर में पिछले करीब एक महीने से भारत और चीन के सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेता हैम्बर्ग में मुलाकात कर सकते हैं। तनाव का हवाला देकर मोदी-चिनफिंग मुलाकात की संभावना को खारिज करने संबंधी चीन के बयान को भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

पीएम मोदी 6 से 8 जुलाई के बीच जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जर्मनी के हैम्बर्ग में होंगे। मोदी के शेड्यूल के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ब्रिक्स देशों के नेताओं की मीटिंग में शिरकत करेंगे और उनके शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं है। ब्रिक्स देशों के नेताओं में चीन के राष्ट्रपति और भारत के पीएम भी शामिल हैं। सम्मेलन के दौरान अलग से द्विपक्षीय बैठकों के मुद्दे पर प्रवक्ता ने कहा कि अर्जेंटीना, कनाडा, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया, यूके और विएतनाम के साथ पहले से इसकी योजना बन चुकी है। प्रवक्ता के बयान में कहीं भी चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक का जिक्र नहीं किया गया।

दूसरी तरफ, घटनाक्रम से जुड़े जानकारों ने बातचीत की संभावना को खारिज नहीं किया है, लेकिन बातचीत से पहले दबाव बनाने की चीन की पुरानी नीति रही है। कुछ समय पहले जब द्विपक्षीय बैठक के आयोजन के लिए कोशिश चल रही थी तब चीन के अधिकारी भी इस पर पॉजिटिव रुख दिखा रहे थे, लेकिन भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए उन्होंने गुरुवार को द्विपक्षीय बैठक न होने का बयान जारी किया। भारत सीमा विवाद के बारे में चीन से बातचीत के जरिये रास्ता निकलना चाहता है।

बता दें कि सिक्किम सेक्टर में चीन के सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा में सड़क बनाने की कोशिश के बाद करीब एक महीने से दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव की स्थिति है। चीन और खासकर वहां का सरकारी मीडिया इस मामले में आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं। चीन के सुरक्षा विशेषज्ञ तो यह तक कह चुके हैं कि अगर भारतीय सैनिक पीछे नहीं हटे तो चीनी सैनिक उन्हें खदेड़ देंगे।

सिक्किम सेक्टर में गतिरोध को लेकर भारत और चीन दोनों ही पक्षों से तीखी बयानबाजियां भी देखने को मिली है। चीन ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह 1962 के युद्ध से सबक ले, जिसके जवाब में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि चीन को नहीं भूलना चाहिए कि 1962 और 2017 के भारत में फर्क है। जेटली के इस बयान के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने भी बयान दिया कि चीन भी 1962 वाला नहीं है।

सिक्किम सेक्टर में यह विवाद भूटान-चीन-भारत सीमा पर स्थित डोकलाम क्षेत्र में है। इस इलाके का भारतीय नाम डोका ला है जबिक भूटान इसे डोकलाम और चीन इसको डोंगलांग कहता है। इस विवाद की वजह से तनाव चरम पर है।