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चीनी रुख से चक्कर खा रहा भारत, जयशंकर पहुंचे साउथ कोरिया

22membershipपेइचिंग। 48 देशों वाले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत को शामिल करने को लेकर चीन का रुख साफ नहीं हो रहा है। चीन इस मसले पर लगातार टालमटोल या अस्पष्ट रुख के साथ सामने आ रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए रचनात्मक भूमिका अदा करेगा। मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा चुनिइंग ने बुधवार को कहा कि एनएसजी सदस्यों ने भारत और पाकिस्तान को सदस्यता देने के लिए अनौपचारिक रूप से तीन चरणों में चर्चा की।

एनएसजी सदस्यों में मतभेद के बीच भारत ने अपनी सदस्यता हासिल करने के लिए कोशिशें बंद नहीं की हैं। भारत ने अपने विदेश सचिव एस. जयशंकर को साउथ कोरिया की राजधानी सोल भेजा है ताकि रणनीतिक रूप से एनएसजी देशों के बीच मतभेद को कम किया जा सके।

हुवा चुनिइंग ने कहा, ‘चीन को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर आगे भी बात होगी और हम इसमें रचनात्मक भूमिका अदा करेंगे। हालांकि इससे जुड़े मुद्दे को सभी देश बड़े करीब से देख रहे हैं। इस मुद्दे पर हो रही बातचीत से हमें एक समझ बनाने में आसानी होगी।’ इसके साथ ही हुवा ने कहा कि साउथ अफ्रीका की राजधानी सोल में एनएसजी देशों की जो मीटिंग होने जा रही है उसमें भारत और पाकिस्तान को शामिल करने की बात अजेंडा में शामिल नहीं है।
हुवा ने कहा, ‘सोल की समग्र बैठक में किसी खास देश की एंट्री को लेकर विमर्श अजेंडा में है लेकिन यह उन देशों के लिए है जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर कर दिया है। जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है उन्हें शामिल की करने की बात एनएसजी देशों की मीटिंग के अजेंडा में कभी नहीं रहा है। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में कभी नॉन-एनपीटी देशों के आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया है। यह हमारे अजेंडा में ही नहीं रहा है। ऐसे में कोई ऐसा विचार नहीं बना सकता है कि हम किसी को रोक रहे हैं। यह सच है कि सभी देश नॉन-एनपीटी देशों की एंट्री के महत्व पर सोच रहे हैं।’

दूसरी तरफ भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर सोल में 48 देशों की सदस्यता वाली एनएसजी की होने वाली बैठक पर करीब से नजर रख रहे हैं। भारत ने साउथ कोरिया की राजधानी में अपनी लॉबीइंग को तेज कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्रालय के सीनियर अधिकारी अमनदीप सिंह गिल जो कि डिसआर्ममेंट ऐंड इंटरनैशनल सिक्यॉरिटी के प्रभारी हैं, सोल पहले से ही पहुंचे हैं। वह एनएसजी में इंडिया की दावेदारी को पुख्ता करने में जुटे हैं।

चीन का रुख कहीं से भी स्पष्ट नहीं है। पहले चीन ने कहा कि वह किसी देश को टारगेट नहीं कर रहा है फिर उसने कहा कि यदि भारत या पाकिस्तान किसी को भी एनएसजी में एंट्री मिलती है तो यह एनपीटी की बाध्यता का उल्लंघन होगा।

मंगलवार को चीन ने कहा था कि दरवाजा खुला है लेकिन फिर उसने इस मामले में सदस्यता देने की प्रक्रिया के उल्लंघन की बात कही। इसके साथ ही चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता को पाकिस्तान की कसौटी पर कस रहा है। चीन का कहना है कि यदि भारत को एनएसजी में शामिल किया जा सकता है कि पाकिस्तान के साथ भी कोई दिक्कत नहीं है।