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चीनी मीडिया ने बताया, ओलिंपिक में सबसे पीछे क्यों रहता है भारत

india-olympicsपेइचिंग। दुनिया की कुल जनसंख्या के छठे हिस्से को समेटने वाला देश भारत ओलिंपिक की मेडल लिस्ट में सबसे नीचे क्यों नज़र आता है? चीनी मीडिया ने कुछ ऐसे कारण निकाले हैं, जिन्हें वह भारत के खराब प्रदर्शन का कारण मानता है। ये कारण हैं: बुनियादी सुविधाओं की कमी, खराब स्वास्थ्य, गरीबी, लड़कियों को खेलने की इजाजत न होना, लड़कों पर डॉक्टर और इंजिनियर बनने के लिए ज्यादा दबाव, दूसरे खेलों के बजाय क्रिकेट की ज्यादा लोकप्रियता, हॉकी में भारत का गिरता प्रदर्शन और ग्रामीण इलाकों में ओलिंपिक की जानकारी का अभाव।

गुरुवार तक चीन रियो ओलिंपिक में 11 गोल्ड के साथ कुल 30 मेडल जीतकर अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। अमेरिका के 16 गोल्ड समेत कुल 38 मेडल हैं।

पिछले एक सप्ताह से अधिक वक्त में चीन की मीडिया ने अपने पाठकों को बताया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन ओलिंपिक में लगातार क्यों फेल हो रहा है। चीनी मीडिया ने लफ्फाजी के बजाय तर्कों के साथ अपनी बात रखी है।

वेबसाइट Toutiao.com पर पब्लिश एक आर्टिकल के मुताबिक, ‘भारत की जनसंख्या 120 करोड़ है और चीन के बाद यह दुनिया का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। लेकिन, ओलिंपिक खेलों में भारत बहुत ही कम मेडल हासिल करता है। क्यों? जनसंख्या के सापेक्ष ओलिंपिक मेडल सूची में नीचे रहने वाले भारत ने 2012 ओलिंपिक में छह मेडल हासिल किए थे, जिनमें एक भी गोल्ड नहीं था।’ आपको बता दें कि गुरुवार तक भारतीय खिलाड़ी रियो में एक भी मेडल नहीं जीत पाए।

इसी लेख में आगे लिखा गया है, ‘पिछले तीन ओलिंपिक (2004 एथेंस, 2008 पेइचिंग, 2012 लंदन) देखें तो भारत ने अपनी जनसंख्या के लिहाज से जितने मेडल जीते हैं, वह उस हिसाब से लिस्ट में आखिरी नंबर पर आता है। अमीर और गरीब के बीच बड़े अंतर की वजह से गरीबों की जीने और खेल के लिए ऊर्जा बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इस आर्टिकल के मुताबिक, ‘सरकार खेलकूद की बुनियादी सुविधाओं पर बहुत कम खर्च करती है। बड़े खेल और प्रतिस्पर्धात्मक खेल, दोनों ही भारत में पिछड़ रहे हैं।’

वेबसाइट Chinanews.com के मुताबिक, ‘भारत में स्पोर्ट्स कल्चर की कमी ओलिंपिक में असफलता का सबसे बड़ा कारण है। भारतीय संस्कृति ने स्थानीय खेलों के विकास में बाधा डाली है। अधिकांश परिवार अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजिनियर बनाना चाहते हैं। खेल प्रतिभाओं को परिवार और यहां तक कि पड़ोसियों का भी विरोध झेलना पड़ता है। परिवार और पड़ोसी खिलाड़ियों को बड़े स्तर के मुकाबलों में भाग लेने से रोकते हैं। इसके अलावा आबादी का एक बड़ा हिस्सा निचली जाति का है और ऐसे लोगों को शिक्षा का मौका बमुश्किल ही मिल पाता है। इन्हें पर्याप्त पोषण भी नहीं मिलता है।’

एक सरकारी वेबसाइट ने लिखा है कि भारत में ग्रामीण इलाकों में ओलिंपिक के बारे में जानकारी न होना असफलता का एक बड़ा कारण है, ‘शोधकर्ताओं ने कर्नाटक और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में जांच की। उन्होंने ग्रामीणों से पिछले एक दशक में सुनी सबसे अच्छी नौकरी के बारे में पूछा। राजस्थान में 300 से ज्यादा ग्रामीणों के जवाबों में सॉफ्टवेयर इंजिनियर, आर्किटेक्चर इंजिनयर, डॉक्टर और वकील का जिक्र था। कुछ ग्रामीणों ने टीचर और सैनिक बनने को सबसे अच्छा बताया। कर्नाटक की अर्थव्यवस्था बेहतर होने के बावजूद वहां के जवाबों में राजस्थान से कोई खास अंतर नहीं था।’

आगे लिखा गया है, ‘ओलिंपिक तो छोड़िए, किसी ने खेलों का जिक्र तक नहीं किया। और इसका अगला कारण बताया है क्रिकेट। Toutiao.com के संक्षिप्त विश्लेषण में लिखा गया है, ‘क्रिकेट भारत का राष्ट्रीय खेल है। भारतीय इसे धर्म की तरह ही चाहते हैं। भारत में क्रिकेट पसंद न करने वाले को नास्तिक माना जा सकता है। ऐसे में कई युवा दूसरे खेलों की ट्रेनिंग लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। भारतीय क्रिकेट पसंद करते हैं और इसमें अच्छा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से क्रिकेट ओलिंपिक खेलों में शामिल नहीं है। भारतीय इसमें गोल्ड मेडल नहीं जीत सकते।’

चीनी मीडिया ने यह तो नहीं बताया कि ओलिंपिक में चीन की सफलता का क्या राज है, लेकिन संभवत: चीन उन्हीं विपरीत वजहों से सफल है, जिन वजहों से भारत असफल होता है।