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चच्चाजी तो भगोड़े निकले: अंग्रेज़ सिपाहियों की लाठी देख रैली छोड़कर छुपनेवालों ने लाई आज़ादी

देश के विकास में चच्चाजी का कितना बड़ा  ‘हाथ’ है हम सभी जानते हैं। कांग्रेस छाती पीट-पीट कर कहती रहती है कि नेहरू ने ही भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलवाई थी। हां भाई नेहरू अकेले ने ही आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी, जो क्रांतिकारी सूली पर चड़े थे, जिन क्रांतिकारियों ने कालापानी की सज़ा पाई थी वो तो छोटे मोटे लोग थे जिन्हे छोटे मोटे अपराध में गिरफ़्तार किया गया था! एक अकेले नेहरू ने खून पसीना सींचा था भारत की आज़ादी के लिए , बाकी तो सब नल्ले पड़े थे। जो एक लाठी का मार न खा सका वो काहे का स्वतंत्रता सेनानी? जो अंग्रेज़ों की लाठी देखकर आंदॊलन छोड़ कर भाग जाये वो काहे का क्रांतिकारी?

चच्चाजी तो भगोड़े निकले जिसे कांग्रेस ने देश से छुपाए रखा इतने सालों तक। भारत में आज़ादी की लड़ाई परवान चड़ चुकी थी। लाला लाजपत राय की अगुवानी में देशवासियों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ़ जंग को और तेज़ कर दिया था। इसीके चलते लाला जी ने साईमन गो बैक का नारा देते हुए आंदॊलन किया जिसमें पूरे देश ने उनका साथ दिया। आंदॊलन कारियों पर अंग्रेज़ सैनिकों ने लाठी बरसाई और दुर्भाग्य वश लालाजी की मृत्यु हो गयी।

इससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया और देश के कोने कोने में आंदोलन होने लगे। एक ऒर क्रांतिकारी खुलकर मैदान में उतरे और अंग्रेजों से सीधे लोहा लेने लगे, तो दूसरी ऒर कुछ लोग रैली निकालकर, बैनर व पोस्टर लगाकर अंग्रेज़ों का विरॊध करने लगे। इसी के चलते कांग्रेस ने भी एक रैली निकाली और 16-16 लोगों की टुकड़ियां बनाकर अलग-अलग गलियों में नारे लगाते हुए अंग्रेज़ों का विरॊध करने लगी। इनमें से एक टुकड़ी का नेतृत्व चच्चाजी कर रहे थे, जब वे एक गली से गुजर रहे थे तो पीछे से अंग्रेज़ सिपाहियों की घॊड़ॊं की टाप सुनाई दी।

अपने पीछे से आते हुए अंग्रेज़ सिपाहियों को देखकर घबराए चच्चाजी रैली का नेतृत्व छोड़कर भाग गये और कहीं जाकर छुप गये। लेकिन उनके साथ जो लोग आये थे वे अंग्रेज़ सिपाहियों से नहीं डरे और वहीं डटे रहे। अंग्रेज़ों ने उनपर लाठी बरसाई लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। चच्चाजी तो लाठी के डर से छुप गये थे और कांग्रेस कहती है कि नेहरू ने भारत को आज़ादी दिलवाई थी! अपने पूरे जीवन में एक लाठी नहीं खाई थी चच्चाजी ने। जब हमारे क्रांतिकारी सूली पर चड़ रहे थे, कालापानी में तेल पेर रहे थे, तो चच्चाजी जेल के अंदर बैठकर बड़े आराम से ‘भारत की खोज’ पर किताब लिख कर भारत के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर लिख रहे थे।

चच्चाजी के कुकर्मों का फल ही है जो हम आज भी खा रहे हैं। काश सुभाष चंद्र बोस या सरदार पटेल हमारे प्रधानमंत्री होते, तो आज हमें यह दिन देखना ना पड़ता। चच्चाजी और कांग्रेस के कुकर्मों को ठीक करने में लगे हुए हैं मोदी जी। उस पर कांग्रेस को ऐतराज़ है। कांग्रेस का एक मकसद है भारत की बरबादी बस और कुछ नहीं।