लखनऊ। उच्चतम न्यायालय अवकाश के दिनों में भी मुस्लिम मशीलाओ के विरुद्ध हो रहे अत्याचार की प्रवृति वाले तीन तलाक मामले में निरंतर सुनवाई कर रहा है। सफीपुर उन्नाव की खानकाह बाकाईया ने नायब सज्जादानशीन सैयद हसनैन बकाई ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा रखे गए पक्ष का समर्थन किया है।
सज्जादानशीन का मत है कि तीन तलाक गैर इस्लामी मामला है। उन्होंने इसमें जबरदस्ती होने वाले हलाला के नाम पर महिलाओं का शोषण करने वाले मौलवियों के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने की सरकार से मांग की है।
कल शनिवार को प्रेस क्लब में सैयद हसनैन बकाई ने करान शरीफ का हवाला देते हुए कहा कि सूरे बकरा की आयत नंबर 229 और 230 में तलाक का सही तरीका बताया गया है, लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए मुसलमानों को गुमराह करने के साथ इस्लाम की छवि को खराब करने का काम कर रहा है।
सज्जादानशीन ने पर्सनल लॉ बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर बोर्ड तीन तलाक को हराम बटाटा है और दूसरी तरफ सरकार व कोर्ट की पहल को शरियत में दखल करार देकर मुसलमानों को गुमराह कर रहा है।
इस्लामी तारीख में कई दलीले मौजूद हैं जिसमें यह बात साफ है कि तलाक, तलाक, तलाक कहने से तलाक नही होगा। इसलिए एक साथ तीन तलाक की बढती कुप्रथा पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून बनाया जाना चहिए, ताकि महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिल सके।
बरेली की एक मुस्लिम महिला तंजीम द्वारा तीन तलाक पर मांगे गए फतवे पर हसनैन बकाई ने इस्लामी किताबों का हवाला देते हुए कहा कि यदि पति अपनी पत्नी को एक साथ तीन बार तलाक देता है तो भी वह एक बार ही माना जाएगा। इसलिए हम जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर इस्लामी किताबों का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखेंगे।