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गरीब किसानों पर कार्रवाई, अमीर उड़ा रहे हैं मौज: सुप्रीम कोर्ट

14scनई दिल्ली। लोन डिफॉल्टर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा कि आखिर आप लोग लोन डिफॉल्टर्स से रकम वसूलने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि कॉर्पोरेट सेक्टर और कारोबारियों का लोन डिफॉल्टर होना संदेह पैदा करता है। कोर्ट ने कहा, ‘आरबीआई ने खुलासा किया है कि कॉर्पोरेट और इंडिविजुअल्स ने लाखों करोड़ रुपये का लोन लिया है और डिफॉल्टर साबित हो रहे हैं। कई लोगों ने तो व्यक्तिगत तौर पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन ले रखा है।’
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह भेदभाव ही है कि कुछ हजार रुपयों का कर्ज लेने वाले किसानों से वसूली के लिए सभी उपाय किए जाते हैं और इस तरह के बड़े लोग हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने के बाद कंपनी को बीमार बता देते हैं और मौज उड़ाते हैं।’ इस स्थिति में अदालत की ओर से कदम उठाए जाने का संकेत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय और इंडियन बैंक एसोसिएशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने दोनों को इस याचिका में पार्टी बनाया है। कोर्ट ने कहा कि करोड़ों रुपये के लोन डिफॉल्टर्स के नामों का खुलासा किया जा सकता है या नहीं, वह उस पर विचार करेगा।

आरबीआई ने इससे पहले डिफॉल्टर्स के नामों को सार्वजनिक करने पर असहमति जताई थी। इस मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होनी है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई को लेकर करीब एक दशक पहले याचिका दायर की थी। उन्होंने हुडको में हुए घोटाले को लेकर अर्जी दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की।

प्रशांत भूषण ने कहा कि हर साल सरकारी बैंकों की ओर से हजारों करोड़ के लोन डिफॉल्टर्स के मामलों को बंद कर दिया जाता है। एक समाचार पत्र ने आरटीआई के हवाले से हाल ही में खबर दी थी कि 29 सरकाी बैंकों ने 2013 से 2015 के दौरान करीब 2.11 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के मामलों को बंद कर दिया।