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क्या मुलायम से वसूलेंगे योगी 100 करोड़ रुपये, SC में दो सप्ताह में पेश होना होगा हलफनामा

लखनऊ। वर्ष 2002 से 2007 तंक मुलेयम सिंह यादव के शासन काल मे सत्ता का दुरुपयोग करते हुए पंचम ताल पर बैठे नौकरशाहों ने भी नियुक्तियो से लेकर धन के बंटवारे में सारे नियमो को ताख पर रख कर सरकार चलाई थी।

जातिवाद, क्षेत्रवाद और एक धर्म विशेष के लोगो को प्रोत्साहित करने में मुलायम कभी पीछे नही रहे।लखनऊ स्थित एक धर्म विशेष के संचालकों द्वारा संचालित निजी इंजीनियरिंग कालेज को विश्वविधालय का दर्जा दिलाने हेतु शिक्षा विभाग से अध्यादेश/अधिनियम  तंक जारी करा दिया गया। इसका दवाव पहले प्राविधिक शिक्षा विभाग पर डाला गया परंतु वहां के अधिकारियों द्वारा हाथ खड़ा कर देने पर  उनकी दाहिना हाथ मानी जाने वाली नीरा यादव ने शिक्षा विभाग से यह काम किया । जहाँ तक उस काल मे धनराशि की स्वीकृतियो का प्रश्न है वह भी मन मुताबिक हुई।सैफई के लिए अन्य विभागों का बजट समर्पित कराकर पुनर्विनियोग के माध्यम से इटावा और सैफई को आवंटित किया गया।

इसी प्रकार राज्य आकस्मिकता निधि का भी दुरुपयोग किया गया।  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जिस 100 करोड़ की वापसी की बात हो रही है,वह पैसा भी आकस्मिकता निधि से आहरित करके निजी स्कूल को दिया गया।

आकस्मिकता निधि से केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में केवल सरकारी व्यय हेतु पैसा उपलब्ध कराया जाता है,जबकि उस प्रयोजनार्थ कोई बजटीय व्यवस्था न हो।  खुलेरूप से 100 करोड़ रुपया, सत्ता का दुरुपयोग कर नियमो के विरुद्ध निजी संस्था को दिया गया। इसे देने का मकसद क्या था और क्या इसकी उपयोगिता देखी गई,इस पर सब मौन है।

मुलायम सिंह के परिवार के कॉलेज को 100 करोड़ रुपए आकस्मिक निधि से देने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वो पैसा वापस लेने के बारे में अपना रुख साफ करे। कोर्ट ने दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

2004 में मुलायम ने कॉलेज को दिए थे 100 करोड़ 

– यह मामला इटावा के पास हैबर गांव में चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज का है। इस कालेज के प्रबंधन कमेटी में मुलायम परिवार के लोग सदस्य हैं। 2004 में जब मुलायम सिंह उप्र के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने चौधरी चरण सिंह की जन्म शताब्दी में कॉलेज को 100 करोड़ रुपए राज्य की आकस्मिक निधि से दिया था।  – वकील महेन्द्र नाथ ने इस मामले को पहले हाईकोर्ट में दाखिल किया था और अब सुप्रीम कोर्ट में आकस्मिक निधि से निजी कॉलेज को पैसा देने का मुद्दा उठाया है।

कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में मांगा हलफनाम

– सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी जताते हुए उप्र सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कैसे कर सकती है। सरकार न तो पैसा वापस ले रही है और न ही इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार है।

उस पर प्रदेश के वकील ने कहा कि सरकार ने कॉलेज की कमेटी में सरकारी लोगों को नियुक्त किया है। पीठ ने कहा कि लेकिन वो तो प्राइवेट सोसाइटी है।

 सरकार पैसा वापस लेने के बारे में अपना रुख स्पष्ट करे

– कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बारे में दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।  – पिछले वर्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने चौधरी चरण सिंह डिग्री कॉलेज को सरकारी फंड से दी गई 100 करोड़ की राशि पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सरकारी संपत्ति किसी निजी सोसाइटी को कैसे दी जा सकती है।  – उस समय कोर्ट ने सरकार से संचालन समिति के पुनर्गठन पर विचार करने और उसमें सरकारी लोगों को शामिल करने के बारे में भी पूछा था।

 मुलायम के दोष पर  SC ने योगी सरकार को लगाई फटकार

CM रहते मुलायम ने कॉलेज को दिए 100 करोड़, अब SC ने योगी सरकार को फटकार लगाई है i मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी जताते हुए उप्र सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कैसे कर सकती है।