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क्या चंद्र ग्रहण के असर से हिल गई धरती? पढ़ें क्या है कनेक्शन

नई दिल्ली। चंद्र ग्रहण लगने से कुछ समय पहले ही दिल्ली और एनसीआर में बुधवार की दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए. दिल्ली-एनसीआर सहित पाकिस्तान और कजाकिस्तान में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.  भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 नापी गई है. 31 जनवरी यानी बुधवार को खग्रास चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण का सीधा संबंध भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होता है.

ज्योतिष में ग्रहण को अशुभ और हानिकारक प्रभाव वाला माना जाता है. 31 जनवरी को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगभग 150 साल बाद आया है. इस ग्रहण को खग्रास चंद्रग्रहण कहा गया है. इस खगोलीय घटना के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब आ जाएगा. ज्योतिष में चंद्र ग्रहण का सीधा संबंध भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से माना जाता है. विज्ञान के अनुसार, भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने के कारण आते हैं तथा भूकंप से ही सुनामी का जन्म होता है और ज्योतिष के अनुसार टेक्टोनिक प्लेटें ग्रहों के प्रभाववश खिसकती हैं और टकराती हैं. भूकंप की तीव्रता प्लेटों पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव पर निर्भर करती है.

धार्मिक मान्यता है कि चंद्र ग्रहण जल एवं समुद्र को प्रभावित करता है. ऐसा माना जाता है कि ग्रहण आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे-बाढ़, तूफान, भूकंप, महामारी की तरफ इशारा करते हैं. खग्रास चंद्र ग्रहण भी इसी श्रृंखला में रखा जाता है. हालांकि कुछ लोग इसे सिर्फ एक अंधविश्वास मानते हैं और इस पर विश्वास नहीं करते हैं.

कब और कैसे होता है चंद्र ग्रहण?

वस्तुतः चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रतिच्छाया में आ जाता है. ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों. इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा की रात्रि को घटित हो सकता है.

ज्योतिष की भाषा में जब भी सूर्य और चंद्रमा राहु और केतु से पीड़ित होते हैं, तब-तब ग्रहण की घटना घटित होती है. सूर्य और चंद्रमा का सीधा एवं प्रत्यक्ष प्रभाव पृथ्वी पर है और उनकी किरणों से पूरी तरह सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है.

ज्योतिष में ग्रहणों का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर देखा जाता है. चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण पूर्णिमा के दिन समुद्र में सबसे अधिक ज्वार आते हैं और ग्रहण के दिन उनका प्रभाव और अधिक हो जाता है. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं.

यही भूकंप यदि समुद्र के तल में आते हैं, तो सुनामी में बदल जाते हैं. भूकंप, तूफान, सुनामी आदि में वैसे तो सूर्य, बुध, शुक्र और मंगल का प्रभाव देखा गया है लेकिन चंद्रमा का प्रभाव विशेष है एवं ग्रहण का प्रभाव और भी विशेष है.

नकारात्मक प्रभाव-

इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं.  भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं. ज्योतिष के मुताबिक, चंद्रग्रहण के दुष्प्रभाव से आग और दुर्घटनाएं समाज में परेशानी पैदा कर सकती हैं. लोगों और देशों के बीच मनमुटाव बढ़ सकता है. चंद्र ग्रहण विश्व में अशांति पैदा कर सकता है. चंद्र ग्रहण के चलते भूकंप की भी संभावना बढ़ जाती है.

सकारात्मक प्रभाव-

चंद्र ग्रहण के केवल नकारात्मक परिणाम ही नहीं होते हैं. चंद्रग्रहण के सकारात्मक प्रभाव के चलते मनुष्य साधना के लिए प्रगति भी प्राप्त कर सकता है.