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केरल मंदिर हादसा: अबतक 110 की मौत, पीएम नरेंद्र मोदी ने संभाला राहत का मोर्चा

modi tempalकोल्लम। केरल में कोल्लम के पास 100 साल पुराने पुत्तिंगल देवी मंदिर परिसर में आतिशबाजी के दौरान लगी भीषण आग में अबतक 110 लोगों की मौत हो गई है। हादसे में 383 लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डॉक्टरों की एक स्पेशल टीम के साथ रविवार दोपहर कोल्लम पहुंचे, जहां से वह सीधे घटनास्थल पर गए। बाद में उन्होंने अस्पताल जाकर घायलों का हालचाल जाना और राहत कार्य का जायजा भी लिया।

पीएम के साथ केरल के सीएम ओमन चांडी और केरल कैबिनेट के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी घटनास्थल का जायजा लेने कोल्लम पहुंचे।

पीएम मोदी ने घायलों से मुलाकात के बाद मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘हादसे में मारे गए लोगों और घायलों के परिवारों के साथ मेरी संवेदना है। इस दुख की घड़ी में भारत सरकार उनके साथ खड़ी है। घायलों को अगर दिल्ली, मुंबई के किसी अस्पताल में शिफ्ट करने की जरूरत पड़ी तो उसमें भी भारत सरकार पूरी मदद करेगी।’

केरल में हुई इस घटना पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दुख प्रकट किया। केरल के गवर्नर जस्टिस पी. सतशिवम को भेजे गए अपने इस संदेश में उन्होंने कहा, ‘मैं केरल के पुत्तिंगल मंदिर में आज सुबह हुई घटना की खबर से बेहद दुखी हूं, जिसमें कई लोगों की जान चली गईं और सैकड़ों घायल हैं। मुझे भरोसा है कि राहत और बचाव कार्य सुचारू रुप से चल रहे हैं।’

घायलों को राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हादसे में मारे गए लगभग 60 लोगों के शवों की पहचान कर ली गई है। पोस्टमॉर्टम जल्द से जल्द कराया जाएगा और शवों को बिना किसी देरी के रिश्तेदारों को सौंप दिया जाएगा। सीएम चांडी ने कहा कि जिन शवों की पहचान नहीं की गई है उनकी पहचान के लिए वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा। इससे पहले चांडी ने आग में मारे गए व्यक्तियों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की थी। साथ ही गंभीर रूप से घायलों को 2-2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को हृदय विदारक और चौंकाने वाली बताया और मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की।

पीएम मोदी ने रविवार दोपहर केरल के कोल्लम पहुंचने के बाद घटनास्थल का दौरा किया और हालात का जायजा लिया। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी और गृह मंत्री रमेश चेन्नीतला प्रधानमंत्री को परिसर के पास ले गए और उन्हें घटना की जानकारी दी। मोदी घटनास्थल गए जहां दो इमारतों के मलबे बिखरे थे जिनमें कंबापुरा गोदाम शामिल है जहां पटाखे और आतिशबाजी की चीजें रखी हुई थीं। विस्फोट में ये इमारतें पूरी तरह जलकर खाक हो गईं। प्रधानमंत्री वहां करीब दस मिनट तक रहे। उन्होंने वहां कंक्रीट के खंभे, मुड़े तार वगैरह देखे। प्रधानमंत्री बाद में घायलों को देखने कोल्लम जिला अस्पताल गए।

यह हादसा तड़के साढ़े तीन बजे मंदिर परिसर में आतिशबाजी के दौरान हुआ। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से करीब 70 किलोमीटर दूर है। मंदिर में वार्षिक महोत्सव के तहत आधी रात में आतिशबाजी शुरू हुई। आतिशबाजी के लिए राजस्व और पुलिस अधिकारियों ने कोई अनुमति नहीं दी थी। आतिशबाजी देखने के लिए हजारों लोग मंदिर परिसर में एकत्रित हुए थे। पुलिस ने बताया कि यह दुर्घटना तब हुई जब आतिशबाजी के दौरान गोदाम कंबापुरा में चिंगारियां गिरीं और वहां रखे पटाखों में तेज आवाज के साथ विस्फोट हो गया। विस्फोट की आवाज एक किलोमीटर से अधिक के दायरे तक सुनी गई।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बिजली आपूर्ति के ठप्प हो जाने के कारण पूरा इलाका अंधेरे में डूब गया और लोग घबराहट में इधर-उधर भागने लगे। अग्निकांड के बाद जले हुए शव और मानव अंग मंदिर परिसर में बिखरे हुए थे। मुख्यमंत्री चांडी ने बताया कि कोल्लम की जिला कलेक्टर ने आतिशबाजी के लिए अनुमति नहीं दी थी। इस बीच केरल के एक चर्च ने फेस्टिवल्स के दौरान किसी भी तरह की आतिशबाजी पर पूरी तरह बैन लगा दिया है।

कोल्लम की डीएम ए. शाइनामोल ने कहा, ‘किसी भी तरह की आतिशबाजी की कोई अनुमति नहीं दी गई थी।’ उन्होंने बताया कि मंदिर प्राधिकारियों ने प्रतिस्पर्द्धात्मक आतिशबाजी के लिए अनुमति मांगी थी, जो नहीं दी गई थी। सामान्य आतिशबाजी के लिए अनुमति नहीं मांगी गई तो अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मंदिर प्राधिकारियों और विस्फोटक के लाइसेंस धारकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 और 308 के साथ विस्फोटक पदार्थ कानून की धारा चार के तहत मामला दर्ज किया गया है। केंद्र ने विस्फोट सुरक्षा संगठन पेस्को के मुख्य नियंत्रक को भेजा है ताकि यह जांच की जा सके कि कोल्लम के मंदिर में पटाखों या विस्फोटों का अवैध इस्तेमाल तो नहीं किया गया था।

इस बीच स्थानीय लोगों ने बताया कि दुर्घटना के समय मंदिर परिसर में मौजूद मंदिर समिति का 15 सदस्यीय दल घटना के बाद लापता हो गया। हादसे के बाद परिसर से लोगों को निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया गया। नौसेना और वायुसेना ने इस कार्य में छह हेलिकॉप्टर और एक डॉर्नियर विमान लगाया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विस्फोट की आवाज एक किलोमीटर से अधिक के दायरे में सुनी गई और पूरा क्षेत्र अंधेरे में डूब गया और लोग घबराहट में इधर उधर भागने लगे।

मंदिर के पास रहने वाले राजू ने कहा कि उन्होंने एक भीषण आवाज सुनी और एक आग का गोला देखा। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी विजयन ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत ढांचे से कंक्रीट के टुकड़े और लोहे के ग्रिल गिरने से हुई। ये सभी लोग महोत्सव देखने के लिए एकत्रित हुए थे। गिरिजा का मकान मंदिर से एक किलोमीटर दूर स्थित ह। उसने कहा कि उसे एक भारी विस्फोट के बाद झटके महसूस हुए। चांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने सुबह चुनाव आयोग से इसके लिए जरूरी अनुमति मांगी थी कि घायलों को इलाज की सुविधाओं को आदर्श आचार संहिता के दायरे से बाहर कर दिया जाए। आयोग ने उसे यह सैद्धांतिक रूप से मिल गई। उन्होंने कहा, ‘हम आज के निर्णयों के बारे में उन्हें सूचित करेंगे।’