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केंद्र सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी बीज कंपनी को हड़काया

monsantoनई दिल्ली। अमेरिका की बायो-टेक्नॉलजी कंपनी मॉनसैंटो और भारत सरकार के बीच बीज के मूल्यों को लेकर विवाद गहरा गया है। कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान ने बुधवार को कहा कि यदि मॉनसैंटो बीटी कॉटन बीजों की कीमतों में कमी नहीं करना चाहता तो वह देश छोड़ सकता है। मंत्री ने कहा कि कंपनी को सरकार की ओर से बीज कीमतों में कमी को लेकर जारी किए गए आदेश का पालन करना होगा।
भारत में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए नई तकनीक बेहद जरूरी है। कृषि सेक्टर के जानकारों का कहना है कि भारत 2017 तक घरेलू जीएम तकनीक विकसित कर लेगा, लेकिन इसके बाद भी हर एक दशक में बीज में परिवर्तन लाने की समस्या उसके समक्ष होगी। 2002 में मॉनसैंटो के जीएम कॉटन बीजों की मदद से भारत ने फाइबर उत्पादन के मामले में दुनिया के बाजार में अहम स्थान बनाया था। हालांकि इसकी वजह से दालों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। जीएम कॉटन की खेती में देश के करीब 70 लाख किसान लगे हुए हैं, इनके कई संगठन भी हैं, जिनमें से एक संगठन पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी से भी जुड़ा हुआ है। इस संगठन ने ही सरकार से मॉन्सैंटो की ओर से उत्पादों के दामों में अधिक इजाफा किए जाने किए जाने की शिकायत की थी।

लगातार तीन सीजन में सूखे की मार झेल रहे किसानों के दबाव में आई सरकार ने इसके बाद स्थानीय फर्म्स की ओर से मॉन्सैंटो को दी जाने वाली रॉयल्टी में 70 पर्सेंट की कटौती का ऐलान किया है। स्थानीय फर्म्स मॉन्सैंटों को उनकी कॉटन टेक्नॉलजी के लिए रॉयल्टी का भुगतान करती हैं। कंपनी के खिलाफ इस बात को लेकर भी जांच की जा रही है कि क्या उसने अपने एकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला लिया है। स्थानीय कंपनी के साथ मॉन्सैंटो के जॉइंट वेंचर का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके खिलाफ लगे आरोप आधारहीन साबित होंगे।

मॉन्सैंटो ने इसी महीने कहा था कि मौजूदा माहौल में वह भारत में अपने कारोबार पर दोबारा विचार करेगा। कंपनी का कहना था कि अगर सरकार ने ‘मनमाने और संभावित रूस से विनाशकारी’ हस्तक्षेपों के जरिए बीटी कॉटन के लिए विशेषता शुल्क में कटौती की तो उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा।

इस पर कृषि राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान ने कहा कि सरकार पुरानी गलतियों को सुधार करने की कोशिश में है। इन गलतियों की वजह से ही एक विदेश कंपनी भारत में बीजों के दाम में अपनी मनमानी चला रही है और स्थानीय कंपनियां दबाव में हैं। बालियान ने कहा कि यह मॉन्सैंटो पर निर्भर करता है कि वह हमारी ओर से तय किए गए रेट को मानता है या नहीं। यदि वह नहीं मानते तो जो चाहें फैसला ले सकते हैं। बालियान ने कहा कि यदि मॉन्सैंटो देश से बाहर जाता है तो इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है। मंत्री ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों की टीम जीएम बीजों की देशी किस्में तैयार करने में जुटे हैं।

कंपनी के प्रवक्ता ने सरकार की ओर से जारी किए गए इस बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी के लिए भारत के बाजार को छोड़ना मुश्किल होगा, क्योंकि यहां उसके पास बड़ा कारोबार है। मॉनसैंटो पहले ही चीन में कड़ी चुनौती का सामना कर रही है।