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किसानों की आत्महत्या पर कोर्ट के बाद सरकार पर विपक्ष का वार

farmer12मुंबई। मराठवाड़ा में एक महीने में 89 किसानों की आत्महत्या का मुद्दा सरकार के लिए फजीहत का सबब बनता जा रहा है। बुधवार को इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट जस्टिस नरेश पाटील ने स्वत: संज्ञानयाचिका लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया और गुरुवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने इसी मामले में सरकार पर जमकर प्रहार किया।
मुंडे ने राज्य की बीजेपी सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आत्महत्या के बारे में गंभीर नहीं है। अदालतों में झूठे शपथपत्र देकर सरकार किसानों की आत्महत्या के बारे में सचाई छुपाने की कोशिश कर रही है। संवाददाता सम्मेलन में मुंडे ने कहा, ‘मेक इन इंडिया और मेक इन महाराष्ट्र में व्यस्त सरकार के पास सूखाग्रस्त किसानों की दुर्दशा की तरफ ध्यान देने का समय ही नहीं है।’उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कहा कि मेक इन इंडिया के लिए महाराष्ट्र आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चमक-दमक दिखाने के बजाए ‘फार्मर्स डेथ इन महाराष्ट्र’ अर्थात महाराष्ट्र में किसानों की मौत का मंजर भी दिखाओ।

मुंडे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 18 जून को घोषणा की थी कि वे मराठवाडा के सूखे के हालात का अंदाजा लेने के लिए 1 महीने के भीतर मराठवाडा के मुख्यालय औरंगाबाद में मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाएंगे, लेकिन इस घोषणा को 8 महीने बीत चुके हैं मंत्रिमंडल की बैठक नहीं बुलाई गई। उन्होंने ताना मारा कि लगता है मुख्यमंत्री अपना वादा भूल गए हैं।

मुंडे ने मराठवाडा में पीने के पानी गंभीर होती समस्या की तरफ सरकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि पानी की कमी के कारण किसानों और जानवरों का बुरा हाल है। शहरों और गांवों में लोगों को पीने तक के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। पूरे क्षेत्र में बोतल बंद पानी सप्लाई करने वाली कंपनियों ने लूट मचा रखी है। बोतल बंद पानी बेचने वाली कंपनियां पानी माफिया बन किसानों को लूट रही हैं।

उन्होंने मांग की कि सरकार इस पानी माफिया पर लगाम लगाए और जब तक पीने की पानी किल्लत दूर नहीं होती जनता के हित में बोतल बंद पानी बेचने वाली कंपनियों के प्लांट सरकारी कब्जे में लेकर लोगों को फ्री में पीने का पानी उपलब्ध कराए।