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कांग्रेस पार्टी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं नवजोत सिंह सिद्धू

नई दिल्ली। पूर्व क्रिकेटर, पूर्व बीजेपी नेता और वर्तमान में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू लगता है अपनी आदत से मजबूर हैं। जब तक वो भारतीय जनता पार्टी में रहे उसके लिए परेशानियां खड़ी करते रहे। अब नेता जी कांग्रेस पार्टी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की सियासत थमने का नाम ही नहीं ले रही है। पहले जब राहुल गांधी ने उन्‍हें कांग्रेस पार्टी में ज्‍वाइन कराया था उसी वक्‍त से उनके और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के बीच खटपट शुरु हो गई थी। पहले कांग्रेस से उनका विवाद विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर था। उसके बाद उपमुख्‍यमंत्री पद को लेकर उनकी नाराजगी सामने आई। यहां तक की कैबिनेट में शामिल किए जाने के बाद भी उनका मुंह फूला ही रहा। नवजोत सिंह सिद्धू इस वक्‍त पंजाब में निकाय और पर्यटन मंत्री हैं। लेकिन, उन्‍होंने कैबिनेट में विस्‍तार की मांग उठानी शुरु कर दी है।

पंजाब सरकार में कैबिनेट विस्‍तार की मांग उठाकर नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हालांकि उनके इस रवैये की सजा भी उन्‍हें मिलती रहती है। आक्रामक तेवरों के चलते जैसे ही कांग्रेस पार्टी के नेताओं को जैसे ही कोई मौका मिलता है वो उन्‍हें साइड लाइन कर देते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ सियासी कूटनीति का ये सिलसिला निकाय चुनाव के बाद अब मेयरों के चुनाव में भी देखने को मिल रहा है। कांग्रेस पार्टी ने मेयर चुनाव से नवजोत सिंह सिद्धू को किनारे कर दिया है। तीन शहरों में मेयर के चुनाव होने हैं लेकिन, एक भी जगह पर नवजोत सिंह सिद्धू की ड्यूटी नहीं लगाई गई है। जबकि ये विभाग ही सिद्धू के अधीन आता है। फिर भी उनकी मौजूदगी इन जगहों पर देखने को नहीं मिल रही है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस में सबकुछ उतना ठीक नहीं है जितना ऊपर से दिख रहा है या फिर दिखाया जा रहा है।

इस बारे में जब मीडिया के लोगों ने नवजोत सिंह सिद्धू से सवाल किया और पूछा कि क्‍या वो मेयरों की घोषणा से संबंधित समारोह में हिस्‍सा लेंगे तो उनका कहना था कि कैप्‍टन साहब ने जो भी किया है ठीक किया है। उनका कहना है कि पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ और दूसरे मंत्री इस पर फैसला लेंगे। इसके साथ ही सिद्धू ने कहा कि मैं वहां नहीं जा रहा हूं। नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि मैं वहां हरगिज नहीं जाता जहां मुझे बुलाया ना जाए। सिद्धू का कहना है कि मैं सिर्फ दरबार साहिब और दुर्गियाना मंदिर ही बिन बुलाए जाता हूं। इसके अलावा कहीं और बिन बुलाए जाता ही नहीं। मतलब साफ है कि सिद्धू और पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की अनबन इस वक्‍त अपने पूरे शबाब पर है। लोग भी ये कह रहे हैं कि सिद्धू निकाय मंत्री हैं। फिर भी उन्‍हें इन चुनावों से दूर रखा जा रहा है। जबकि ये सारे विभाग उन्‍हीं के अधीन आते हैं।

दरअसल, निकाय चुनाव के बाद पंजाब के तीन शहरों में मेयरों का चयन किया जाना है। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने मेयरों की चयन की प्रक्रिया शुरु कर दी है। ये मेयर जालंधर, अमृतसर और पटियाला शहर के लिए चुने जाने हैं। बताया जा रहा है कि सीएम आफिस की ओर से मेयरों के चयन को लेकर पंजाब सरकार के चार मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है। लेकिन, नवजोत सिंह सिद्धू को इससे दूर रखा गया है। मुख्‍यमंत्री की ओर से मेयर चुनाव में जिन लोगों की ड्यूटी लगाई गई है उसमें राजिंदर सिंह बाजवा, अरुणा चौधरी, ब्रह्म मोहिंदरा और साधू सिंह धर्मसोत का नाम शामिल है। इन मंत्रियों को तीनों जगहों पर मेयर के चुनाव से लेकर हाउस के गठन तक की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। राजिंदर सिंह बाजवा को अमृतसर की जिम्‍मेदारी मिली है। जबकि अरुणा चौधरी को जालंधर की। साधू सिहं और ब्रह्म मोहिंदरा पटियाला में मेयर चुनाव और हाउस गठन के काम को संभालेंगे। कैप्‍टन और सुनील जाखड़ ने मिलकर नाम भी तय कर लिए हैं लेकिन, इस सारे सीन से नवजोत सिंह सिद्धू आउट हैं।