Breaking News

कश्मीर में दहशतगर्दी फैलाने वाले हिज्बुल को US ने घोषित किया आतंकी संगठन

वॉशिंगटन। कश्मीर घाटी में लंबे समय से दहशतगर्दी को अंजाम देने वाले हिज्बुल मुजाहिदीन को अमेरिका ने विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. इससे दो महीने पहले अमेरिका ने हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया था. पाकिस्तानी आतंकी सलाहुद्दीन का संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन लंबे समय से घाटी में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहा है.

अमेरिका का यह फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, जो इस आतंकी संगठन के जरिए कश्मीर घाटी में दहशतगर्दी को अंजाम देता आ रहा है. पिछले साल जुलाई में भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी संगठन हिज्बुल के कमांडर बुरहान वानी की पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कई बार तारीफ कर चुके हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग ने इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 219 और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर 13,224 के तहत हिज्बुल को स्पेशल डिजाइनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) घोषित किया है.  इससे अमेरिका में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ी सभी संपत्तियां ब्लॉक कर दी गईं हैं. साथ ही अब हिज्बुल मुजाहिदीन की गतिविधियों पर भी पूरी तरह बैन लग गया है. इसके अलावा इस आतंकी संगठन से कोई किसी भी तरह न तो जुड़ सकेगा और न ही इसके साथ लेनदेन कर सकेगा.

साल 1989 बना यह आतंकी संगठन लंबे समय से घाटी में अपनी दहशतगर्दी को अंजाम दे रहा है. कश्मीर में यह सबसे बड़ा और पुराना आतंकी संगठन है.

साल 1989 बना यह आतंकी संगठन लंबे समय से घाटी में अपनी दहशतगर्दी को अंजाम दे रहा है. कश्मीर में यह सबसे बड़ा और पुराना आतंकी संगठन है. हिज्बुल मुजाहिदीन का सरगना वैश्विक आतंकी मोहम्मेद यूसुफ शाह उर्फ सैय्यद सलाहुद्दीन है. हिज्बुल मुजाहिदीन अप्रैल 2014 में जम्मू एवं कश्मीर में हुए बम धमाके समेत कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है. इसमें 17 लोग जख्मी हो गए थे.

बुधवार को US पब्लिक एंड द इंटरनेशनल कम्युनिटी ने हिज्बुल मुजाहिदीन को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किए जाने की जानकारी दी. अमेरिका के इस कदम से कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकी संगठन हिज्बुल के खिलाफ कार्रवाई में मदद मिलेगी. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि आतंकवाद से जुड़ा घोषित होने से संगठन और व्यक्ति बेनकाब होते हैं. साथ ही अलग-थलग पड़ जाते हैं और अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था तक उनकी पहुंच खत्म हो जाती है. इसके साथ ही इस कदम से अमेरिका और दूसरी सरकारों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मदद मिलती है.