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कम्युनिस्टों का भारत में रक्त रंजित इतिहास: वामपंथी विचारधारावाले ‘लाल आतंकी’ देश के गद्दार

कम्यूनिस्टॊं का तो इतिहास ही खून से लत पत रहा है। वामपंथी विचारधारा भी किसी जिहाद से कम नहीं। ये लोग लाल आतंकी है जो देश को टुकडॊं में बांट कर अपने रक्त रंजित इतिहास को खून की स्याही से लिखना चाहते हैं। पहली कम्युनिस्ट क्रांति के बाद सोवियत संघ के पहले शासक बने लेनिन और स्टालिन इन कम्युनिस्टों के मन पसंद नेता है। लेनिन और स्टालिन मानवता के नाम पर कलंक है। यह वही लोग हैं जिनके हाथ लाखों मासूम लोगों के खून से रंगे हुए हैं जिसने सोवियत संघ को विशाल यातनाघर बना दिया था। इन्ही तानाशाह के पुजारी हैं भारत के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट नेता गण।

जब भी देश की अस्मिता और सुरक्षा की बात आती है यह कम्युनिस्ट अपनी गद्दारी दिखाते हैं और अपना समर्थन चीन को दे देतें हैं। ये वही गद्दार है जिन्होने 1942 में ब्रिटिश सरकार को अपना समर्थन दिया था और क्विट इंडिया आंदोलन को विफल बनाया था। CIA दस्तावेज़ों के अनुसार 1962 के भारत-चीन युद्द के दौरान कम्युनिस्टों ने चीन का साथ दिया था। रूस और चीन के कहने पर कम्युनिस्ट नेता एच के सुर्जीत भारतीय सेना में अपने खूफिया संगठन तैनात करने को राज़ी हो गये थे। इस संगठन का उद्देश था भारतीय सेना के विरुद्ध काम करना और युद्द के दौरान चीन की सहायता करना। भारतीय सैन्य बलों के प्रवेश को रोकने के लिए चीन- रूस ने जोर देकर कहा था कि सीपीआई को सशस्त्र प्रतिरोध करने में सक्षम एक स्टैंडबाय उपकरण विकसित करना होगा, जिसके लिए भारत के सीपीआई नेता तुरंत तयार हॊ गये।

गद्दारी इनके खून में है।1962 के युद्द में भारत के विरुद्द भारतीय सेना में सीपीआई अपना खूफिया संगठन तैनात करने को राजी हो जाती है। जिसने देश से गद्दारी की आज वही पार्टी दूसरॊं को देश प्रेम का पाठ पढ़ाती है।

The CIA today released a collection of declassified analytic monographs and reference aids, designated within the Central Intelligence Agency (CIA) Directorate of Intelligence (DI) as the CAESAR, ESAU, and POLO series, highlights the CIA’s efforts from the 1950s through the mid-1970s to pursue in-depth research on Soviet and Chinese internal politics and Sino-Soviet relations. Of particular interest to India is a 3 part series on the border dispute with China but more juicy document is 12 MB dossier on the Indian Communist Party, this should stir up politics in India at a time when the Manmohan Singh, Sonia Gandhi lead Congress has accorded unprecedented leverage to the Communists who are celebrating 30 years of rule in Bengal.

Offstumped has reviewed the documents and was amazed to learn the extent to which the Communists looked for direction from Russia and China, sought support and approval and pretty much sub-ordinated national interest at the altar of a dubious ideology and subservience to the Chinese.

In Feb 1958 an official of the Soviet Embassy contacted CPI Leaders to renew the request to setup an underground organization. While AjoY Ghosh refused, HK Surjeet and others privately decided that Ghosh was taking a complacent line and decided to reach out to the CPSU outside of party channels. स्त्रॊत में दी गयी CIA दस्तावेज़ों को पढ़िये।


ऐसी गद्दार पार्टी जो देश के विरॊध में काम करती है वह दूसरी गद्दार पार्टी को अपना समर्थन देती है। वह इसलिए क्यॊं कि नेहरू को वामपंथी  लोग अपने विचारों के वाहक के रूप में सर्वाधिक उपयुक्त लगे थे। नेहरू के वजह से ही वामपंथी लोग देश के सभी अकादमिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक या अन्य प्रमुख संस्थाओं के शीर्ष पदों पर खुद को प्रस्थापित करना शुरू कर दिया। नेहरू की बेटी इंदिरा के कार्यकाल तक सरकार में वामपंथियों का दब दबा बना रहा। इसीलिए ज़्यादातर वामपंथी नेहरू और इंदिरा की तारीफ़ में क़सीदे पढ़ते नज़र आते हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इंदिरा द्वारा देश पर आपातकाल थोपे जाने का समर्थन किया था क्यॊं कि वे तत्कालीन सरकार के साझीदार थे। इसी कम्युनिस्ट पार्टी ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जैसे प्रखर देशभक्त राष्ट्रनेता को ‘तोजो का कुत्ता’ कहकर संबोधित किया था।

देश के शिक्षा और पाठ्यक्रमों को हिन्दू विरॊधी बनाने का श्रेय इन वामपंथीयों को ही जाता है। खुद को गरीबों का मसीहा कहनेवाली यह पार्टी निहायति घटिया और गद्दार है। आज भी चीन द्वारा मिलनेवाले पैसों से देश भर में नक्सल्वादियों को तयार करके हमारे जवानों पर हमला करवानेवाले लोग कम्यूनिस्ट ही है। जब भी सरहद पर हमारा जवान देश के लिए अपना बलिदान देता है तो सबसे ज्यादा खुशी कम्यूनिस्टॊं को ही होती है। केरल और बंगाल में हिन्दुओं का जीना मुश्किल कर दिया है इन सड़क छाप कम्युनिस्ट गुंडॊ ने। देश को जातिवाद के जंजाल में फंसाकर एक दूसरे को आपस में लड़वाकर रक्त बहाने का काम करना वामपंथियों की पुरानी चाल है। जब तक देश का नमक खा कर देश के साथ गद्दारी करने वाले कम्युनिस्ट और कांग्रेस के गुंडे रहेंगे तब तक इस देश का भला नहीं हो सकता। देश को इन गद्दारॊं के चंगुल से मुक्त कराइये। कांग्रेस और कम्यूनिस्ट मुक्त भारत बनाइये।