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ऐंबुलेंस नहीं मिली तो साइकल पर रख 20 किमी ले गया सास का शव

dead-bodभोपाल। ओडिशा के दानामांझी का किस्सा अभी ठंडा नही पड़ा कि मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में वैसी ही घटना सामने आ गई। सरकार की गरीबों के लिये सुविधाओं की तमाम घोषणाओं के बीच एक आदिवासी दम्पती को अपनी बूढ़ी मां की लाश को साइकल के पीछे बांध कर ले जाना पड़ा। गरीब आदिवासी 20 किलोमीटर साइकल पर लाश लेकर चला लेकिन मध्य प्रदेश की संवेदनशील सरकार के किसी कर्मचारी की उस पर नजर नही पड़ी।

मीडिया में खबर आने के बाद शहडोल के जिला कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने मीडिया से कहा है कि गोरेलाल गौड़ ने अपनी सास का शव गांव ले जाने के लिए प्रशासन से ऐंबुलेंस मांगी ही नही थी। जबकि गोरेलाल का कहना है कि उसकी मदद करने के लिये शहडोल में लोगों ने ऐंबुलेंस को फोन किया था, लेकिन ऐंबुलेंस नही मिली।

घटना गुरूवार की है। शहडोल जिले के अमिलिहा गांव की 70 साल की रामबाई के जिला अस्पताल में बीमारी से मौत हो गयी थी। रामबाई अपने गांव में न रह कर अपने दामाद गोरेलाल गौड़ के गांव कटहरी में रहती थी। मौत के बाद गोरेलाल ने अपनी सास के शव को उसके पैतृक गांव अमिलिहा ले जाने के लिये स्थानीय स्तर पर साधन की तलाश की। कुछ लोगों ने सरकार की ऐंबुलेंस सेवा को फोन किया। लेकिन उसे कोई मदद नही मिल पाई। इस पर वह अपनी पत्नी और उसकी दूसरी बहन के साथ शव को साइकल पर बांध कर गांव तक ले गया।
गोरे सिंह ने अपनी सास के शव को चादर में लपेटकर साइकल के कैरियर से बांध दिया था, ताकि वह गिर न जाए। 20 किलोमीटर के सफर में पत्नी व एक अन्य महिला उसके साथ थी। वह शुक्रवार को दोपहर तीन बजे कटहरी से निकला था और रात नौ बजे अमिलिहा पहुंचा। शुक्रवार को उसका अंतिम संस्कार किया।

शुक्रवार को शहडोल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जब इस मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। शनिवार को जिला प्रशासन जागा। जिला कलेक्टर ने एक तहसीलदार और एक डॉक्टर को गोरेलाल के गांव भेजा। साथ ही कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने यह भी कह दिया कि जब हमसे मदद मांगी ही नही तो हम कैसे दे देते। जबकि गोरेलाल इस बात पर कायम है कि उसने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी कि वह साइकल पर सास की लाश लेकर गांव चला आया।

अभी तक शिवराज सरकार की तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नही आई है। यह पहली घटना नही है। इससे पहले भी एक गरीब को अपनी बच्ची की लाश साइकल पर ले जानी पड़ी थी। दमोह जिले में एक बस ड्राइवर ने उस परिवार को जंगल में बस से उतार दिया था जिसकी एक बीमार महिला को अस्पताल ले जाते समय बस में ही मौत हो गयी थी।