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उप्र सरकार ने गौरव भाटिया को अपर महाधिवक्ता पद से हटाया

gaurav_bhatiaलखनऊ /नई दिल्ली। टीवी चैनलों में मजबूती से सपा सरकार का पक्ष रखने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वकील गौरव भाटिया को राज्य के अपर महाधिवक्ता (एएजी) पद से हटा दिया है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने रीना सिंह को भी इस पद से हटा दिया है। माना जा रहा है कि अन्य कारणों के अलावा गौरव भाटिया पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ताजा पालिटिक्स भारी पड़ी है।

राज्य सरकार ने 22 मार्च मंगलवार को देर शाम आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से दोनों वकीलों गौरव भाटिया और रीना सिंह को अपर महाधिवक्ता पद से हटा दिया। आदेश में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से वादों की पैरवी व बहस के लिए अपर महाधिवक्ता पद पर आबद्ध रीना सिंह व गौरव भाटिया की आबद्धता तत्कालिक प्रभाव से समाप्त की जाती है। सूत्र बताते हैं कि वैसे तो लंबे समय से दोनों वकीलों के खिलाफ कुछ सुगबुगाहट चल रही थी। लेकिन गौरव भाटिया पर सुप्रीमकोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ताजा राजनीति भारी पड़ी है।

बात ये है कि गौरव भाटिया एससीबीए के सचिव हैं। कुछ दिन पहले ही एससीबीए अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन पिछले सप्ताह न्यू बार रूम के उद्घाटन समारोह में मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने दवे से अध्यक्ष के रूप में काम करते रहने का आग्र्रह किया था और बार से कहा था कि उन्हें दवे का इस्तीफा नहीं स्वीकार करना चाहिए।

इसके बाद गत 17 मार्च को दुष्यंत दवे ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया और गत 18 मार्च को एससीबीए की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने बैठक करके दवे का इस्तीफा वापस लेने का पत्र स्वीकार कर लिया और दवे ने दोबारा एससीबीए का अध्यक्ष पद धारण कर लिया।

एक्जीक्यूटिव कमेटी ने इस्तीफा वापसी का पत्र स्वीकार करते हुए कहा कि दवे ने अपना इस्तीफा एससीबीए की जनरल बाडी को संबोधित किया था जो कि अभी तक स्वीकार नहीं हुआ है और इस तरह दवे कभी अध्यक्ष पद से हटे ही नहीं थे। लेकिन गत 22 मार्च को गौरव भाटिया व तीन अन्य आफिस बेयरर की ओर से सर्कुलर जारी कर गत 18 मार्च की बैठक को गैर कानून करार दे दिया।

इतना ही नहीं, दवे के मुद्दे पर 29 मार्च को एक्जीक्यूटिव की बैठक भी बुला ली। सूत्र बताते हैं कि 22 मार्च की बैठक में भाटिया ने दवे को दोबारा पद संभालने की मुख्य न्यायाधीश की ओर से की गई अपील पर भी कुछ टिप्पणियां की थी और किसी ने ये सारी बातें लखनऊ में प्रदेश सरकार तक पहुंचा दी। जिसने पहले से चली आ रही नाराजगी की आग में घी का काम किया।

सूत्र बताते हैं कि 22 तारीख को देर शाम मुख्यमंत्री ने भाटिया और रीना सिंह को हटाने का आदेश पारित किया जिसके बाद राज्यपाल की ओर से औपचारिक आदेश जारी हुआ। इतना ही नहीं रात में ही करीब साढ़े आठ बजे उत्तर प्रदेश के विधि प्रकोष्ठ का दिल्ली स्थिति आफिस खोला गया ताकि तत्काल प्रभाव से आदेश भाटिया और रीना सिंह तक पहुंचाया जा सके। 23 मार्च की सुबह ईमेल और फैक्स के जरिये भी आदेश भेजा गया।

सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार मुकदमों की पैरवी को लेकर भी दोनों वकीलों से कुछ असंतुष्ट नहीं चल रही थी। हालांकि भाटिया का कहना है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है।