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इस महिला कॉन्स्टेबल के फेसबुक पर 7 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स

smita-tandiरायपुर। स्मिता टांडी वैसे तो छत्तीसगढ़ पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं, लेकिन फेसबुक वह किसी सिलेब्रिटी से कम नहीं। 7 लाख 20 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स के साथ वह छत्तीसगढ़ के उन चुनिंदा लोगों में से है जो इस सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर इतने लोकप्रिय हैं। हैरानी की बात तो यह है कि स्मिता ने फेसुबक पर अकाउंट बनाने के महज 20 महीने के अंदर यह लोकप्रियता हासिल की है।

साल 2011 में छत्तीसगढ़ पुलिस जॉइन करने वाली 24 साल की स्मिता के मुताबिक उन्होंने कभी फॉलॉवर्स हासिल करने के लिए पैसे नहीं खर्च किए, उनके फॉलोवर्स पेड नहीं हैं। उन्हें लगता है कि उनकी पोस्ट के कॉन्टेंट की वजह से लोग उनसे जुड़ते हैं। वह अपनी पोस्ट्स के जरिए जरूरतमंद गरीब लोगों की कहानी सामने लाती हैं और लोगों से मदद की अपील करती हैं।

खुद के साथ हुई एक दुखद घटना और दूसरों की मदद की इच्छा के चलते स्मिता ने मार्च 2015 में फेसबुक अकाउंट बनाया था। बताया जाता है कि 2013 में जब स्मिता पुलिस ट्रेनिंग ले रही थीं, तब घर पर उनके पिता बीमार पड़ गए और इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। पैसों के अभाव में उनके पिता की मौत हो गई। पिता के गुजरने के बाद स्मिता को अहसास हुआ कि देश में ऐसे हजारों लोग होंगे जो पैसों के अभाव में जान गंवा देते हैं, तब स्मिता ने ऐसे लोगों की मदद करने का फैसला किया।
स्मिता ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 2014 में गरीबों की मदद के लिए एक ग्रुप बनाया। इस ग्रुप के जरिए उन्होंने लोगों की मदद के लिए पैसा जमा करना शुरू किया। ऐसे लोग जिन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती, स्मिता और उनके दोस्त उन्हें जानकारी देने का भी काम करते थे। इसके बाद उन्होंने इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए फेसबुक का सहारा लिया। शुरुआत में लोग उनकी पोस्ट पर ध्यान नहीं देते थे, पर लगभग एक महीने बाद लोगों ने रिस्पॉन्स देना शुरू कर दिया। शायद लोगों ने उन्हें ‘फर्जी’ न मानते हुए, उनकी बातों पर भरोसा किया।


फेसबुक पर ऐसी मदद की अपील करने वालों की भरमार है, तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर स्मिता की पोस्ट्स पर लोग इतना भरोसा कैसे करते हैं? स्मिता के मुताबिक जब भी उन्हें पता चलता है कि भिलाई, रायपुर या आसपास के इलाके में किसी को इलाज में मदद की जरूरत है तो वह वक्त निकालकर खुद उनके पास जाती हैं, सारी जानकारी इकट्ठा करती हैं और उन्हें वेरिफाइ भी करती हैं। इसके बाद वह फेसबुक पर मदद की अपील करते हुए पोस्ट डालती हैं।
स्मिता अब तक अस्पताल के बिल भरने में 25 गरीब लोगों की मदद कर चुकी हैं। फेसबुक की बीत की जाए तो उनके माध्यम से मदद पाने वालों की संख्या सैंकड़ों में है।

उनकी फेसबुक प्रोफाइल पर उन तमाम लोगों की कहानियां पढ़ी जा सकती हैं जिन्हें स्मिता ने आर्थिक सहायता मुहैया करवाई या करवाने की कोशिश की। फेसबुक पर स्मिता की लोकप्रियता की जानकारी उनके सीनियर अधिकारियों को भी है और यही वजह है कि उन्हें भिलाई में महिला हेल्पलाइन के सोशल मीडिया सेल में रखा गया है। दुर्ग में अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रहने वाली स्मिता, स्टेट वॉलिबॉल टीम की भी सदस्य हैं। देश भर से लोग उनके जरिए मदद पाने की गुहार लगाते हैं और वह जानकारी सही पाए जाने पर ही मदद की अपील करती हैं।