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आरपार की लड़ाई के मूड में अखिलेश, सपा में विभाजन तय

सूत्रों के मुताकिब मंगलवार को अखिलेश यादव ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के समक्ष तीन शर्तें रखीं। उनमें पहली हैं उनके जिन समर्थकों को पार्टी से बाहर किया गया है, उन्हें पार्टी में शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री की दूसरी शर्त है टिकटों का बंटवारा खुद हमारे जिम्मे यानी अखिलेश के पास हो। तीसरी शर्त है चाचा शिवपाल के खास अमर सिंह की आगमी चुनाव में कोई भूमिका न हो। लेकिन सूत्रों के मुताबिक शिवपाल यादव ने अखिलेश की तीनों शर्तें मानने से इनकार कर दिया है। सपा मुखिया ने भी अखिलेश को कोई आश्वासन नहीं दिया है।
photo_1175लखनऊ। समाजवादी पार्टी की अंदरुनी लड़ाई खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तीन शर्तें रखी हैं लेकिन, शिवपाल ने इन्हें मानने से इनकार कर दिया है। इससे क्षुब्ध बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश समर्थक दोबारा जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट पसिर में जुटे और आगे की रणनीति पर चर्चा की। तेजी से बदलते इस घटनाक्रम से पहले मंगलवार की शाम अखिलेश यादव के समर्थकों ने 5 नवंबर के दिन पार्टी के स्थापना दिवस का बायकॉट करने का फैसला लिया था। जबकि इससे पहले सोमवार को शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की बैठक बेनतीजा रही थी।
सूत्रों के मुताकिब मंगलवार को अखिलेश यादव ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के समक्ष तीन शर्तें रखीं। उनमें पहली हैं उनके जिन समर्थकों को पार्टी से बाहर किया गया है, उन्हें पार्टी में शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री की दूसरी शर्त है टिकटों का बंटवारा खुद हमारे जिम्मे यानी अखिलेश के पास हो। तीसरी शर्त है चाचा शिवपाल के खास अमर सिंह की आगमी चुनाव में कोई भूमिका न हो। लेकिन सूत्रों के मुताबिक शिवपाल यादव ने अखिलेश की तीनों शर्तें मानने से इनकार कर दिया है। सपा मुखिया ने भी अखिलेश को कोई आश्वासन नहीं दिया है।
इस बीच सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान भी खुलकर अखिलेश यादव के पाले में आ गए हैं। उन्होंने कहा है मुलायम सिंह यादव तो अच्छे मुख्यमंत्री थे ही उनसे बेहतर मुख्यमंत्री हैं अखिलेश यादव। उन्होंने खुलकर यह बात कही है कि आगामी चुनाव में अखिलेश यादव को ही पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा जाना चाहिए। ऐसा न होने पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
समाजवादी पार्टी 5 नवंबर को अपनी स्थापना का रजत जयंती समारोह मना रही है। रजत जयंती के अवसर पर मुलायम सिंह यादव संदेश यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। माना जा रहा था कि इसी दिन भरी भीड़ में वे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते। लेकिन बदलते हालात में अब क्या होगा कुछ नहीं कहा जा सकता। इस बीच पता चला है कि रामगोपाल यादव भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। जबकि अखिलेश यादव के रजत जयंती में हिस्सा लेने पर संदेह बरकरार है।
सोमवार को हुई बैठक में मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव को मनाने में नाकाम रहे थे। बताया जाता है कि शिवपाल यादव ने अखिलेश की तीनों शर्तोँ को मानने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते अखिलेश ने अब आर-पार की लड़ाई का मूड बना लिया है। इस बीच पार्टी में बंटवारे जैसे हालात को देखते हुए दूसरे दलों ने भी अखिलेश को अपना समर्थन देने की पेशकश की है। कांग्रेस के साथ-साथ नीतीश कुमार ने भी बड़े फैसले की स्थिति में अखिलेश के साथ जाने का इशारा किया है। यदि ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा परिवर्तन हो सकता है। लेकिन अभी न तो सपा कार्यालय की ओर से और न ही अखिलेश खेमे की तरफ से कोई अधिकृत बयान आया है।