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आजम के वतन लौटने के बाद ही उनके पद पर रहने का होगा फैसला

azam6लखनऊ। सीएम और स्पीकर से गवर्नर के यह कहने के बाद कि आजम मंत्री के योग्य नहीं है, उनका बना रहना एक बड़ा सवाल बन गया है। इस मामले का अगला चरण क्या होगा इसका फैसला आजम खान की ‘घर वापसी’ के बाद ही होगा। आजम खान, स्पीकर माता प्रसाद पांडेय सहित 17 विधायकों का दल चार देशों के स्टडी टूर पर गया है। गवर्नर को अभी स्पीकर के जवाब का इंतजार है।

8 मार्च को विधानसभा में चर्चा के दौरान आजम खान ने गवर्नर राम नाईक पर काफी टिप्पणी की थी। गवर्नर ने इसकी सीडी मंगवा कर अवलोकन किया तो पाया कि उनके बयान का एक-तिहाई असंसदीय मानकर कार्रवाई से निकाल दिया गया। इसको आधार बनाकर गवर्नर ने स्पीकर को पत्र लिखकर आजम की योग्यता पर सवाल उठाए थे और सीएम को भी इसकी कॉपी भेजी थी। पत्र भेजने के छह दिन बाद भी सीएम की ओर से अभी गवर्नर को कोई जवाब नहीं दिया गया है। वहीं स्पीकर भी बाहर होने के बाद अपना पक्ष नहीं रख सके हैं। राजभवन के सूत्रों का कहना है कि दोनों के ही जवाब के बाद राजभवन अपना अगला कदम तय करेगा।

परंपरा टूटी तो होगी मुश्किल!

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि अगर तकनीकी तौर पर कहें तो गवर्नर सीएम की सहमति के बिना भी मंत्री को बर्खास्त कर सकता है। मंत्री गवर्नर के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है। हालांकि जब इस अधिकार की व्याख्या होती है तो इसके साथ ही संविधान की दूसरी व्यवस्था पर भी ध्यान देना होता है। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री की सलाह पर गवर्नर मंत्री को नियुक्त करेगा। इसलिए आज तक कोई भी ऐसी संवैधानिक परंपरा या नजीर नहीं है जब मंत्री को बिना सीएम की सहमति के बर्खास्त किया गया हो। कश्यप कहते हैं कि परंपरा और मर्यादा अगर गवर्नर के लिए है तो मंत्री के लिए भी है। अगर किसी मंत्री की कही हुई एक-तिहाई बात असंसदीय है तो फिर मंत्री की उसकी योग्यता पर सवाल है। आजम खां को भी संसदीय परंपरा का निर्वहन करते हुए गवर्नर से अपने बयान के लिए माफी मांगना चाहिए।