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अमेरिका ने कहा भारत को मिलेगा हर रोल, चीन-पाक की बढ़ी चिंता

Elizabeth-Trudeauवॉशिंगटन। अमेरिका और भारत की दोस्ती से पाकिस्तान की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। चीन भी इसे लेकर एक हद तक सतर्क है। मंगलवार को चीन के सरकारी मीडिया ने अमेरिका द्वारा भारत को मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) में शामिल करने पर अपनी व्यथा जाहिर की थी। एमटीसीआर में चीन को जगह नहीं मिली है।

अमेरिका ने कहा कि वह भारत को हर अहम ग्लोबल इंस्टिट्यूशन में भूमिका दिलाने में लगा है। इसी क्रम में अमेरिका ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता के लिए पुरजोर कोशिश की। अमेरिका यूनाइटेड नेशन के सिक्यॉरिटी काउंसिल में भी भारत को शामिल करने का समर्थन कर रहा है।

नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत ने भी कहा कि अमेरिका एनएसजी में भारत को शामिल कराने की रचनात्मक कोशिश जारी रखेगा। सोमवार को वॉशिंगटन में स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता एलिजाबेथ ट्रूडो ने इंडिया की एमटीसीआर में एंट्री का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अप्रसार के मामले में अपनी प्रतिबद्धता साबित की है।
सोमवार को इंडिया औपचारिक रूप से एमटीसीआर का पूर्ण सदस्य बन गया। करीब एक साल पहले इंडिया ने इसके लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था। एमटीसीआर एक अनौपचारिक और स्वैच्छिक संस्था है। इसके सदस्य देशों की नजर दुनिया भर में मिसाइल और मानव रहित वाहनों के प्रसार होती है। ये मानव रहित वाहन विनाशक मिसाइलों को कैरी करने में सक्षम होते हैं।

इंडिया को भले एनएसजी में कामयाबी नहीं मिली लेकिन एमटीसीआर में एंट्री भी कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। पिछले हफ्ते एनएसजी में इंडिया के शामिल होने के अभियान को चीन ने रोक दिया था। चीन का कहना है कि बिना एनपीटी पर हस्ताक्षर किए किसी भी देश को एनएसजी में शामिल नहीं किया जा सकता। चीन ने कहा कि एनएसजी में उन्हीं देशों को शामिल किया जा सकता है जिन्होंने न्यूक्लियर प्रोलिफिरेशन ट्रीटी पर हस्ताक्षर कर दिया है। एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के लिए भारत के बाद पाकिस्तान ने भी आवेदन किया था। दोनों देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।

पिछले हफ्ते साउथ कोरिया की राजधानी सोल में एनएसजी सदस्यों की समग्र बैठक हुई थी। इसी बैठक में इंडिया ने सदस्यता हासिल करने की भरपूर कोशिश की लेकिन चीन ने कामयाब नहीं होने दिया। पाकिस्तान भारत को शामिल नहीं करने पर खुशी जताई और उसने कहा कि यह उसकी रणनीतिक कामयाबी है। देश में विपक्षी पार्टियों ने भी इसे नरेंद्र मोदी की विदेश की नीति की नाकामी करार दिया।

अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता ने कहा, ‘एनएसजी की हाल में हुई बैठक में इंडिया को सदस्यता नहीं मिलने से हमें निराशा हुई है। हालांकि अमेरिका भारत को एनएसजी की सदस्यता दिलाने पर गंभीरता से कोशिश जारी रखेगा। एनएसजी की आने वाले महीनों में होने वाली बैठक में इंडिया को सदस्यता मिल जानी चाहिए।’ सोमवार को एमटीसीआर में इंडिया की एंट्री को बड़ी उपलब्धि को तौर पर देखा जा रहा है। ट्रूडो ने कहा कि इंडिया को एमटीसीआर में इसलिए शामिल किया गया क्योंकि उसने अप्रसार के मामले में अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।

ट्रूडो ने कहा, ‘एमटीसीआर के सभी 34 मेंबर्स जिनमें यूनाइटेड स्टेट भी शामिल है, इंडिया को शामिल करने पर सहमत थे। इंडिया के शामिल होने से दुनिया भर में खतरनाक हथियारों को प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। अमेरिका इंडिया को ग्लोबल इंस्टिट्यूट में जगह दिलाने को लेकर प्रतिबद्ध है। इस मामले में प्रेजिडेंट ओबामा का पूरा समर्थन है। अमेरिका यूएन सिक्यॉरिटी काउंसिल में भी इंडिया को शामिल करने का समर्थन करता है।’

ट्रूडो ने कहा, ‘अमेरिका एशिया-पसीफिक इकनॉमिक कोऑपरेशन (एपीईसी) के हित में इंडिया का हमेशा स्वागत करेगा। हमलोग मजबूती के साथ ग्लोबल इंस्टिट्यूट में इंडिया का समर्थन जारी रखेंगे।’ स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, ‘6 साल पहले प्रेजिडेंट ओबामा ने पहली बार इंडिया को एनएसजी में शामिल करने पर समर्थन की बात कही थी। तब से अमेरिका भारत को इसमें जगह दिलाने की कोशिश कर रहा है। इंडिया का रेकॉर्ड बहुत मजबूत है और वह इसमें शामिल होने के लिए योग्य है।’