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अमित शाह बनाम अहमद पटेल की जंग में वाघेला के हाथ में है चाबी

अहमदाबाद। राज्यसभा चुनाव इतना दिलचस्प और रोमांचक कभी नहीं रहा जितना आज गुजरात के लिए 3 राज्यसभा सीटों के लिए हो रहा चुनाव है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद 4 उम्मीदवारों में से एक हैं और वह सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को राज्यसभा में जाने से रोकने के लिए अपना हर दांव आजमा चुके हैं। पटेल को रोकने की बीजेपी की रणनीति अब पूरी तरह शंकरसिंह वाघेला के रुख पर निर्भर है, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक वोट डाले जाने हैं और नतीजे शाम को करीब 6 बजे तक आ जाएंगे।

182 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा से कांग्रेस के 6 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, ऐसे में एक उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 45 वोटों की जरूरत होगी। यह संख्या और भी नीचे आ सकती है क्योंकि ऐसी अटकलें भी हैं कि शंकरसिंह बाघेला के करीबी विधायक वोटिंग से दूर रह सकते हैं या फिर NOTA का विकल्प आजमा सकते हैं। हालांकि वाघेला ने सोमवार को इतना जरूर कहा कि NOTA का इस्तेमाल नहीं होगा।

चुनाव में एक-एक वोट इतने अहम हो चुके हैं कि उनके लिए बीजेपी और कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहतीं। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेडीयू के इकलौते विधायक छोटू भाई बसावा अहमद पटेल के समर्थन में हैं। उन्होंने बिहार के सीएम और पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार की बात को भी अनसुना कर कांग्रेस को समर्थन का फैसला किया है। बसावा को शरद यादव का करीबी माना जाता है।

कांग्रेस ने सोमवार सुबह बेंगलुरु से लौटे अपने 44 विधायकों को अपने राज्य इकाई के अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के मजबूत गढ़ माने जाने वाले आणंद के नजदीक एक रिजॉर्ट में ठहराया है। इन विधायकों से किसी को भी मिलने की इजाजत नहीं है। यहां तक कि सोमवार को रक्षाबंधन के मौके पर विधायकों के परिजनों को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी। पार्टी की 2 महिला विधायकों ने ही 42 पुरुष विधायकों को राखी बांधी।

शाह और पटेल के अलावा जो दो उम्मीदवार हैं, वे हैं- केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बलवंतसिंह राजपूत, जिन्होंने कांग्रेस के चीफ विप का पद छोड़कर पिछले महीने ही बीजेपी का दामन थामा। शाह की निगरानी में बीजेपी ने मॉक पोल का भी आयोजन किया ताकि मंगलवार को सभी विधायक अपने वोट को सही तरीके से डाल सकें।

पिछले महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के करीब दर्जनभर विधायकों द्वारा एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में क्रॉसवोटिेंग के मद्देनजर मंगलवार को भी क्रॉसवोटिंग की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग द्वारा NOTA के विकल्प को रखने से इस चुनाव को एक नया आयाम मिला है।

अमित शाह सोमवार की शाम को आत्मविश्वास से लबरेज दिखें। उन्हें अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत का भरोसा है जबकि अहमद पटेल ने दावा किया है कि उन्हें कुछ बीजेपी विधायकों का भी समर्थन मिलेगा। पटेल ने बीजेपी पर डिमॉक्रेसी को बनाना रिपब्लिक में बदलने का आरोप लगाया है। पटेल आणंद के रिजॉर्ट में अपने 44 विधायकों के साथ डटे रहे। वह एनसीपी के 2 विधायकों और जेडीयू के इकलौते विधायक के समर्थन को लेकर आश्वस्त दिखे। हालांकि सूत्रों के मुताबिक एनसीपी इस बार कांग्रेस को झटका दे सकती है।

अहमद पटेल के नामांकन भरते वक्त भले ही एनसीपी के दोनों विधायक उनके साथ थे, लेकिन अब उनके पटेल के पक्ष में वोट देने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक पत्ते खोलने से यह कहकर बचते रहे कि अहमद पटेल को समर्थन के मुद्दे पर प्रफुल्ल पटेल फैसला लेंगे। वास्तव में कुटियाना से एनसीपी विधायक कांधल जडेजा ने सोमवार शाम को स्पष्ट कर दिया कि उनका वोट बीजेपी को जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मेरा वोट बीजेपी उम्मीदवार बलवंतसिंह राजपूत को जाएगा। यह पार्टी के विप के अनुरूप है।’

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे चुके शंकरसिंह वाघेला अपने पत्ते नहीं खोल रहे, जिससे तमाम तरह की अटकलें जन्म ले रही हैं। वाघेला ने सोमवार को कहा, ‘मेरा वोट गोपनीय है, कल कुछ भी हो सकता है।’ उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को विधायकों की याद आई।

कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके सभी 6 विधायक वाघेला के करीबी हैं और ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस में अभी भी कुछ विधायक हैं जिनकी निष्ठा वाघेला के प्रति है।