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अब ‘करंट’ नहीं लगा पाएंगी बिजली कंपनियां

power3नई दिल्ली। अब बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं का पावर लोड बढ़ाने में अपनी मनमर्जी नहीं चला सकती। इसके लिए डीईआरसी ने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। नए नियम 1 अप्रैल से लागू हो गए हैं। दिल्ली सरकार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए डीईआरसी को ऐसा करने के लिए उनकी ओर से ही दिशा-निर्देश दिए गए थे।

दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेग्‍युलेटरी कमिशन (डीईआरसी) ने सप्लाई कोड ऐंड परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड नियमों में संशोधन किए हैं। बदलाव के बाद जो नए नियम बने हैं, उनके मुताबिक अब बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं की बिजली की अधिकतम खपत का पता लगाने के लिए साल में तीन नहीं, बल्कि चार रीडिंग लेनी होंगी। ऐसा लगातार चार महीनों में करना होगा। इन चार रीड़िंग में अगर किसी उपभोक्ता के सेक्शन लोड से पॉइंट नाइन अधिक लोड आता है तो राउंड फीगर में कम ही किया जाएगा। यानी किसी उपभोक्ता का सेक्शन लोड दो किलोवॉट है और एवरेज रीडिंग में लोड 2.9 किलोवाट आता है तो इसे राउंड फिगर में दो किलोवॉट ही माना जाएगा। इससे पहले लोड बढ़ाने की कई शिकायतें दिल्ली सरकार को मिली थी। इसके बाद नियमों में बदलाव का फैसला किया गया।

इसी तरह से लोड बढ़ाने पर बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से केबल बदलने के लिए सर्विस लाइन डिवेलपमेंट चार्ज लेती थी। अब केबल नहीं बदले जाने पर चार्ज नहीं लिया जा सकेगा। अभी तक की प्रैक्टिस में डिस्कॉम लोड बढ़ाने के चार्ज के अलावा केबल बदलने का भी चार्ज लेती थी। नियमों में एक और अहम संशोधन यह भी किया गया है कि जिस भी उपभोक्ता का लोड कम या अधिक करना है, उसे 31 मई तक नोटिस देकर इसकी जानकारी देनी होगी। अगर इस समय तक डिस्कॉम ऐसा नहीं कर पाती है तो उसे प्रति उपभोक्ता 500 रुपये का मुआवजा देना होगा।

इसके अलावा अगर पिछले वित्तीय वर्ष में सेक्शन लोड से कम का बिल आता है तो बिजली कंपनियों को ऑटोमैटिक उन उपभोक्ताओं का लोड घटाना होगा। एक बार किसी उपभोक्ता का पांच किलोवॉट तक लोड हो जाने और दोबारा साल भर उतनी खपत नहीं होने पर उसी लोड के हिसाब से बिल अदा नहीं करना पड़ेगा। अब किसी उपभोक्ता का अगर लोड कम हो रहा है तो कंपनियों को उसका लोड उपभोक्ता के बिना बताए ही कम करना होगा।