Breaking News

अफजल गुरु केस में फैसला ठीक ढंग से नहीं हुआ: चिदंबरम

chidambaramनई दिल्ली। यूपीए सरकार के अफजल गुरु को फांसी पर लटकाने का आदेश देने के करीब तीन साल बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि उन्हें लगता है कि इस मामले में ठीक से फैसला नहीं किया गया और इस बात पर गहरा संदेह है कि 2001 में संसद पर हमले की साजिश में अफजल किस हद तक शामिल था।

चिदंबरम ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह ईमानदार राय रखना संभव है कि अफजल गुरु केस में संभवत: ठीक से निर्णय नहीं किया गया था। हालांकि सरकार में शामिल होते हुए आप यह नहीं कह सकते हैं कि कोर्ट ने केस में गलत निर्णय किया क्योंकि सरकार ने ही तो उस पर मुकदमा चलाया था। हालांकि, एक स्वतंत्र व्यक्ति यह राय रख सकता है कि केस में उचित रूप से निर्णय नहीं किया गया था।’

चिदंबरम ने कहा, ‘कोर्ट के फैसले को देखते हुए उसे बाकी जीवन में परोल न देने का निर्णय करते हुए आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती थी।’ यह कहे जाने पर कि वह भी तो उसी सरकार का हिस्सा थे, चिदंबरम ने कहा, ‘यह सही है, लेकिन मैं तब होम मिनिस्टर नहीं था। मैं नहीं कह सकता कि तब मैंने क्या किया होता।’

2009 से 2014 के बीच यूपीए सरकारों के दौरान चिदंबरम गृह और वित्त मंत्री रहे थे। हालांकि, अफजल को फांसी देने के वक्त सुशील कुमार शिंदे गृह मंत्री थे। सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी करने वाले चिदंबरम ने कहा, ‘एक स्वतंत्र व्यक्ति यह राय रख सकता है कि केस में ठीक से निर्णय नहीं किया गया और जो भी ऐसी राय रखता हो, उसे देश विरोधी या बेईमान बताना गलत है।

जेएनयू के छात्रों पर देशद्रोह के आरोपों को बेतुका करार देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अदालत पहली सुनवाई में ही ऐसे आरोपों को खारिज कर देगी। उन्होंने कहा, ‘अपनी बात खुलकर रखना देशद्रोह नहीं है। दरअसल, इसका एक करीबी उदाहरण बारूद की नली में चिंगारी से दिया जा सकता है। आपकी बात तभी देशद्रोह कही जा सकती है, जब वह बारूद की नली में चिंगारी की तरह हो।’