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अखिलेश की लिस्ट से कांग्रेस भौचक्की, एसपी ने कहा-84 सीट से ज्यादा नहीं देंगे

लखनऊ। सीएम अखिलेश यादव की ओर से शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के 191 कैंडिडेट्स की लिस्ट घोषित किए जाने से कांग्रेस पार्टी भौचक्की है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस एसपी के इस ऐलान से काफी नाराज है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि दोनों को साथ में कैंडिडेट्स का ऐलान करना था, लेकिन एसपी ने ऐसा पहले ही कर दिया। और तो और जो सीट कांग्रेस ने मांगी थी, उन पर भी एसपी ने प्रत्याशी खड़े कर दिए। ऐसे में दोनों पार्टियों के गठबंधन पर संशय के बादल छा गए हैं।

गौतमबुद्ध नगर की तीन सीट नोएडा, दादरी और जेवर पर एसपी ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, जबकि कांग्रेस यहां से कम से कम एक सीट पाने की उम्मीद कर रही थी। वहीं, अखिलेश खेमे के नेता किरणमय नंद ने कहा है कि अमेठी सीट के अलावा लखनऊ कैंट सीट भी एसपी अपने पास ही रखेगी। बता दें कि अमेठी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, जबकि कैंट सीट पर कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को पिछली बार जीत मिली थी। हालांकि, जोशी अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं। लखनऊ कैंट सीट पर मुलायम सिंह की पुत्रवधु अपर्णा यादव की दावेदारी के चलते कांग्रेस इसे छोड़ने पर राजी है। इसके बदले वह लखनऊ उत्तर व मध्य सीट चाहती है जबकि एसपी उसके लिए लखनऊ (पूर्व) विधानसभा छोड़ना चाहती है। एसपी यह सीट अब तक जीत नहीं पाई है।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस-एसपी गठबंधन में आधा दर्जन सीटों पर पेच है। एसपी अपने मंत्री गायत्री प्रजापति के लिए अमेठी सीट चाहती है। बदले में गौरीगंज सीट छोड़ने को तैयार है। सूत्रों का कहना है कि अदला-बदली में कांग्रेस रायबरेली, बछरांवा, तिलोई, हरचंदपुर और ऊंचाहार सीट मांग रही है। सरेनी पर भी दावा है। एसपी सरेनी और ऊंचाहार सीट नहीं छोड़ना चाहती, ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय सरकार में मंत्री हैं।

एसपी के ताजा रुख से दोनों के गठबंधन की संभावनाओं पर फिर आशंका के बादल छा गए हैं। किरणमय नंद ने कहा कि कांग्रेस को कायदे से 54 सीटें मिलनी चाहिए, लेकिन 25-30 और दी जा सकती हैं। माना जा रहा है कि एसपी ज्यादा से ज्यादा 80 सीटें देने के मूड में है। समाजवादी पार्टी उन ही सीटों को कांग्रेस को देना चाहती है, जिन पर पिछले चुनाव में कांग्रेस जीती और वह तीसरे या चौथे नंबर पर थे।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के मनमुताबिक 100 से ज्यादा सीटें उसे देकर एसपी अपनी एक चौथाई राजनीतिक शक्ति बांटना नहीं चाहती। पार्टी मानती है कि उसका पारंपरिक मुस्लिम वोटर कांग्रेस को शिफ्ट हो जाएगा।